Accounting For Special Issue Bonus Issue B.Com 3rd Year Notes
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(Accounting for Special Issue : Bonus Issue, Employees Stock Option Plan, Buy-back of Shares)
बोनस निर्गमन (Bonus Issue)
कम्पनी अपने विद्यमान अंशधारियों को उनके द्वारा धारित अंशों की संख्या के आधार पर से उनसे बिना कोई धनराशि लिए मुफ्त में कुछ अंश दे देती है तो इसे बोनस अंशों का निर्गमन (Issue Bonus Shares) कहा जाता है। कभी-कभी कोई कम्पनी पर्याप्त मात्रा में लाभ होते हुए वितरित नहीं कर पाती है क्योंकि लाभांश वितरित करने के लिए नकदी की कमी होती है। कम्पनी 2013 की धारा 123(5) के अनुसार लाभांश का भुगतान केवल नकदी में ही किया जा सकता है, कम्पनी पूर्ण प्रदत्त (Fully Paid-up) बोनस अंश निर्गमित करने के उद्देश्य से लाभों का पंजीकरण तो इस पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है। इस प्रकार संचय एवं लाभों का पूँजीकरण (Capitalisation of and Reserves) करके कम्पनी अपने विद्यमान अंशधारियों को मुफ्त में पूर्ण प्रदत्त नए अंश निर्गमित सकती है। अत: बोनस अंशों के निर्गमन को ‘लाभों का पूँजीकरण’ भी कहते हैं। इससे एक ओर तो पनी के एकत्रित लाभ और संचय घट जाते हैं और दूसरी ओर उतनी ही राशि से कम्पनी की चुकता पूँजी Paid-up Capital) बढ़ जाती है। अत: जब कम्पनी के पास लाभ और संचय तो पर्याप्त मात्रा में हों परन्तु लाभांश भुगतान के लिए नकद कोषों की कमी हो अथवा यदि कम्पनी अपने नकद कोषों का प्रयोग अपने विकास एवं विस्तार के लिए करना चाहती है तो वह बोनस अंशों का निर्गमन करके अपने अंशधारियों को सन्तुष्ट कर सकती है। बोनस अंशों के निर्गमन से कम्पनी की नकदी में कमी भी नहीं आती और अंशधारियों को मुफ्त में अंश मिलने से वे भी खुश हो जाते हैं। कम्पनी अधिनियम, 2013 से पूर्व बोनस अंशों के सम्बन्ध में कम्पनी अधिनियम में कोई प्रावधान नहीं थे। बोनस निर्गमन मुख्यतया कम्पनी के अन्तर्नियम एवं सेबी के दिशा-निर्देशों द्वारा ही विनियमित होता था। कम्पनी अधिनियम 2013 में एक नई धारा 63 जोड़ी गई है जिसमें कम्पनी द्वारा अपने सदस्यों को पूर्ण प्रदत्त बोनस अंशों के निर्गमन की शर्तों एवं रीति के प्रावधान दिए हुए हैं।
बोनस अंशों के निर्गमन के स्रोत (Sources of Bonus Issue of Shares) – कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 63(1) के अनुसार एक कम्पनी द्वारा अपने सदस्यों को पूर्णदत्त (Fully Paid-up) बोनस अशा का निर्गमन किसी भी रीति से निम्नलिखित में से किया जा सकता है – (i) अपने मुक्त संचयों से (Out of its Free Reserves) (ii) प्रतिभूति प्रीमियम खाते से (Securities Premium Account) (iii) पूँजी शोधन संचय खाते से (Capital Redemption Reserve Account)
नोट – 1 सम्पत्तियों के पनर्मल्यांकन द्वारा सृजित संचयों के पूँजीकरण द्वारा बोनस अंशों का निर्गमन नहीं किया जायेगा। इसका अर्थ यह है कि यदि स्थायी सम्पत्तियों का पुनर्मूल्यांकन करके संचय बनाया गया है सचय से बोनस अंशों का निर्गमन नहीं किया जा सकता है।
- उपरोक्त (i) एवं (ii) दोनों खातों का प्रयोग पूर्णदत्त बोनस अंशों के निर्गमन के लिए तो किया जा ” परन्तु आंशिक दत्त अंशों को पूर्णदत्त बनाने के लिए नहीं किया जा सकता है।
- मुक्त संचयों में लाभ-हानि विवरण का आधिक्य (Surplus of Statement of Profit and Loss), सामान्य संचय (General Reserve), विकास छूट संचय (Development Rebate Reserve), विनियोग (Investment Allowance Reserve), ऋणपत्र शोधन संचय (Debenture Redemption
reserve) आदि को शामिल किया जाता है। 4.सेबी (SEBI) के दिशा-निर्देशों के अनुसार पूँजी संचय (Capital Reserve) का प्रयोग किसी भी प्रकार के बोनस निर्गमन के लिए नहीं किया जा सकता है।
बोनस अंशों के निर्गमन की शर्ते (Conditions for Issue of Bonus Shares)-कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 63(2) के अनुसार अग्रलिखित शर्तों के पूरा होने पर ही कोई कम्पनी पूर्णदत्त मन के लिए अपने लाभों या संचयों का पूँजीकरण कर सकती है- (i) यह उसके अन्तर्नियम द्वारा अधिकृत है, (ii) बोर्ड की संस्तुति पर कम्पनी की साधारण सभा में इसके लिए अधिकृत कर दिया गया है (iii) इसके द्वारा निर्गमित ऋण प्रतिभूतियों या स्थायी जमाओं पर देय ब्याज या मूलधन के भाग इसने कोई चूक नहीं की है, (iv) इसने कर्मचारियों के वैधानिक देयों जैसे प्रोविडेन्ट फण्ड के लिए अंशदान, ग्रेच्युटी, बोनस के भुगतान के सम्बन्ध में कोई चूक नहीं की है, (v) आबंटन की तिथि पर अंशत: दत्त अंशों (patly paid-up shares) (यदि कोई है) को पर्यटन (fully paid-up) बना दिया गया है, (vi) यह निर्धारित की गई सभी शर्तों का पालन करती है। धारा 63(3) के अनुसार लाभांश के बदले (स्थान पर) बोनस अंशों का निर्गनन नहीं किया जा सकता। कम्पनीज(अंश पूँजी और ऋणपत्र) नियम 2014 के नियम 14 के अनुसार बोर्ड द्वारा बोनस निर्गमन की संस्तुति के निर्णय की विज्ञप्ति के पश्चात् इसे वापस नहीं लिया जा सकता है।
सेबी के दिशा – निर्देश के अनुसार यदि कोई कम्पनी संचालक मण्डल द्वारा प्रस्ताव पारित करने के बाद बोनस निर्गमन की घोषणा करती है तो ऐसा प्रस्ताव पारित करने के 6 माह के अन्दर बोनस अंश निर्गमित कर देने चाहिये।
बोनस निर्गमन का लेखांकन व्यवहार
(Accounting Treatment of Bonus Issue)
- बोनस स्वीकृत और घोषित किए जाने पर – जिन संचयों में से अथवा लाभों में से बोनस अंश निर्गमित करने हैं उन संचयों अथवा लाभों को डेबिट करके ‘Bonus to Shareholders’ Alc’ को क्रेडिट किया जाता है –
Surplus of Statement of Profit & Loss General Reserve A/C Securities Premium A/C Capital Redemption Reserve A/C To Bonus to Shareholders’ A/C (Bonus sanctioned out of profits and reserves)
- पूर्णदत्त बोनस अंश निर्गमित करने पर-
Bonus to Shareholders’ A/C To Share Capital A/C (Being issue of fully paid-up bonus shares) नोट-यदि बोनस अंश प्रीमियम पर निर्गमित किए जाते हैं तो प्रीमियम की राशि से प्रतिभूति प्रीमियम खाता क्रेडिट किया जायेगा।
- यदि अंशधारियों के वर्तमान आंशिक चुकता अंशों को पूर्णतया चुकता अंशों में बदलकर बोनस दिया जाता है तो –
(अ) आंशिक चुकता अंशों पर अन्तिम याचना की माँग करने के लिए Share Final Call A/C Dr. To Share Capital A/C (Being Final Call due) (ब) बोनस के भुगतान से अन्तिम याचना का भुगतान समायोजित करने के लिए- Bonus to Shareholders’ A/c dr. To Share Final Call A/c (Being Bonus utilized for meeting the call)
IIlustration 1. निम्नलिखित परिस्थितियों में आवश्यक जर्नल प्रविष्टियाँ कीजिए – (अ) ‘ए’ लि० की निर्गमित पूँजी 5,00,000 रू. है जो कि 10 रू. वाले 50,000 साधारण अशा पास सामान्य संचय में 90,000 रू. हैं। यह निर्णय लिया गया कि 50,000 रू. का पंजीकरण करके 5,000 अंशों का निर्गमन किया जाए।
कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना
(Employecs Stock Option Plan or ESOP)
सरल शब्दों में, कर्मचारी स्टॉक विकल्प से आशय कम्पनी के संचालकों, अधिकारियों और कर्मचारियों को दिए गए ऐसे विकल्प (अधिकार, न कि दायित्व) से है जिसके अन्तर्गत उन्हें भविष्य की किसी तिथि पर कम्पनी द्वारा प्रस्तावित अंशों को एक पूर्व निर्धारित मूल्य पर (जो कि प्राय: बाजार मूल्य से कम होता है) खरीदने का अधिकार प्राप्त हो जाता है।
कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 2(37) के अनुसार, “कर्मचारी स्कन्ध विकल्प का आशय एक कम्पनी द्वारा अपने, सूत्रधारी कम्पनी या सहायक कम्पनी या कम्पनियों, यदि कोई है, के संचालकों, अधिकारियों अथवा कर्मचारियों को एक भावी तिथि पर एक पूर्व निर्धारित मूल्य पर अपने अंश क्रय करने का अधिकार प्रदान करना है।” साान्यतया कर्मचारियों को कम्पनी की सम्पत्ति माना जाता है खास तौर से सॉफ्टवेयर कम्पनियों में जहाँ तकनीकी ज्ञान की बहुत आवश्यकता होती है। यह योजना अपने कर्मचारियों की योग्यता को सुरक्षित रखने और उनमें संस्था/कम्पनी को अपना समझने की भावना जागृत करने के लिए अपनाई जाती है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को कम्पनी में भाग लेने के लिए प्रेरित करना है। वास्तव में यह योजना अच्छे और कुशल कर्मचारियों को आकर्षित करने, उन्हें कम्पनी में बनाए रखने एवं प्रोत्साहित करने का तरीका है। इस योजना को संक्षेप में ESOP कहते हैं।
कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 62(1)(b) के अनुसार कम्पनी द्वारा विशेष प्रस्ताव पारित करके एवं निर्धारित/नियत की गई शर्तों के अधीन कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना के अन्तर्गत अंशों का निर्गमन किया जा सकता है। निगमीय मामलों के मन्त्रालय (Ministry of Corporate Affairs) की 5 जून, 2015 की अधिसूचना में यह कहा गया है कि एक निजी कम्पनी विशेष प्रस्ताव के स्थान पर साधारण प्रस्ताव पारित करके ही कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना के अन्तर्गत अंशों को प्रस्तावित/निर्गमित कर सकती है। एक सूचीबद्ध कम्पनी (Listed Company) को ‘कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना के सम्बन्ध में सेबी विनियमन, 2014 (SEBI Regulations, 2014) का अनुपालन करना होता है जबकि सूचीबद्ध कम्पनी के अतिरिक्त अन्य किसा कम्पनी को ESOP के अन्तर्गत अंशों को प्रस्तावित करने के लिए
‘कम्पनीज (अंशपूँजी एवं ऋणपत्र) नियम, 2014 के नियम 12 का अनुपालन करना पड़ता है। इस योजना की मुख्य विशेषताएँ/वैधानिक व्यवस्थाएँ निम्नलिखित हैं-
- इस योजना के लिए कम्पनी के केवल स्थाई कर्मचारी (जो कि भारत अथवा भारत के बाहर प्रवास करते हैं) ही पात्र/योग्य (eligible) माने जाते हैं।
- संचालकों में पूर्णकालिक एवं अंशकालिक दोनों ही प्रकार के संचालकों को पात्र माना गया है। परन्तु स्वतन्त्र/निराश्रित संचालक (Independent Director) को पात्र नहा माना गया है।
- यदि कोई कर्मचारी, प्रवर्तक हैं अथवा प्रवर्तक समूह (promoter group) से सम्बन्धित है तो वह इस योजना में भाग लेने के लिए योग्य/पात्र नहीं होगा।
- यदि कोई संचालक स्वयं अथवा अपने रिश्तेदारों के माध्यम से अथवा निगमित निकाय (Boul corporate) के माध्यम से कम्पनी के 10% से अधिक समता अंश धारण किए हए हो तो वह इस योजना के लिए पात्र नहीं होगा।
- इस योजना के माध्यम से कम्पनी अपने कर्मचारियों को अंशों को क्रय करने का अधिकार देती है, यह उनका दायित्व नहीं है। अंशों का क्रय करना या न करना कर्मचारियों की स्वेच्छा पर निर्भर करता है।
- कर्मरियों के पास ऐसे अंशों का क्रय करने के विकल्प का अधिकार एक निश्चित अवधि तक ही रहता है अर्थात यह योजना एक निश्चित अवधि तक ही लागू रहती है। इसे Vesting Period कहते हैं। योजना के अन्तर्गत आबंटित किए गए अंश आबंटन की तिथि से कम से कम एक वर्ष तक नहीं को अर्थात् ESOP योजना के अन्तर्गत आबंटित किए गए अंशों की प्रतिबन्धित अवधि (lock-in period) एक वर्ष है।
कम्पनी फार्म नम्बर SH6 में कर्मचारी स्टॉक विकल्प का रजिस्टर रखेगी एवं योजना के अन्तर्गत अनुमोदित विकल्पों के सम्पूर्ण विवरण इस रजिस्टर में भरने होंगे।
कर्मचारी स्कन्ध विकल्प योजना का लेखांकन व्यवहार (Accounting Treatment)-इस योजना के अन्तर्गत कर्मचारियों को अंश क्रय करने के लिए दिए गए विकल्पों के मूल्य (Value of Options) अथवा मिल्यों की लागत (Cost of Options) को ‘कर्मचारी क्षतिपूर्ति’ (Employee Compensation) के रूप माना जाता है। इसे स्थगित व्यय (Deferred Expenses) की तरह मानकर कर्मचारियों को दी गई विकल्प शि Vesting Period) में सीधी रेखा पद्धति से अपलिखित (Write off) कर दिया जाता है। विकल्पों के विकल्पों की लागत की गणना निम्नलिखित सूत्र के द्वारा की जाती है – Value of Option = No. of Options granted x (Market Price – Exercise Price)
- जब विकल्प अनुमोदित किया जाता है (For granting of options) तो विकल्पों के मूल्य से निम्नलिखित प्रविष्टि की जाती है-
Deferred Employee Compensation Expenses A/C Dr. To Employee Stock Option Outstanding A/c (Being approval of ……… options @ R …….)
- आस्थगित कर्मचारी क्षतिपूर्ति व्यय को अपलिखित करने के लिए निम्नलिखित प्रविष्टि तब तक की जाएगी जब तक Deferred Employee Compensation Expenses A/c की पूरी रकम अपलिखित नहीं हो जाती-
Employee Compensation Expenses A/C Dr. The Deferred Employee Compensation Expenses A/C (Being the deferred expense written off on Straight Line Method) Statement of Profit and Loss Dr. To Employee Compensation Expenses A/c . (Being E.C.E. transferred to Statement of Profit and Loss) नोट-आस्थगित कर्मचारी क्षतिपूर्ति व्यय को अपलिखित करने के लिए उपरोक्त दो प्रविष्टियों (Entry) के स्थान पर निम्नलिखित एक ही प्रविष्टि कर सकते हैं- Statement of Profit and Loss Dr. To Deferred Employee Compensation Expenses A/c (Being the deferred expense written off on Straight Line Method)
कम्पनी द्वारा अनुमोदित विकल्प के सम्बन्ध में दो स्थिति हो सकती हैं-(i) जब कर्मचारी विकल्प कालिए अपनी स्वीकृति देते हैं अथवा (ii) जब कर्मचारी विकल्प के लिए स्वीकृति नहीं देते हैं। दोनों दशाओं में निम्नलिखित प्रविष्टियाँ की जाती है-
(1) जब कर्मचारी विकल्प पर स्वीकृति देते हैं अर्थात् अपने विकल्प का प्रयोग करते हैं Bank A/c (with the amount recd.) Dr. Employee Stock Option Outstanding A/C Dr. [No. of Options accepted x (Market Price – Excercise Price] To Equity Share Capital A/c (Face Value of Shares) To Security Premium A/C (Difference between nominal value and market value) (Being ESOP exercised)
(ii) विकल्प हेतु अस्वीकति (Options Lapse)-जब कुछ कर्मचारी विकल्प का प्रयोग नहीं करते हैं कल्प को लेने से मना कर देते हैं तो ऐसी दशा में मना किए गए जर्नल प्रविष्टि की जाती है- निर्गमन से प्राप्त राशि से। परन्तु किसी प्रकार के अंश या अन्य निर्दिष्ट प्रतिभूतियों की वापसी खरीद उसी प्रकार या उसी प्रकार की अन्य निर्दिष्ट प्रतिभूतियों के पिछले किसी निर्गमन से प्राप्त राशि से नहीं की जा सकती है।
स्वतन्त्र/मुक्त संचय (Free Reserve) का आशय कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 2(43) अनसार स्वतन्त्र संचय का आशय कम्पनी के नवीनतम अंकेक्षित चिठे के उन सभी संचयों से है जो लाभांश बाँटने के लिए उपलब्ध हैं। स्वतन्त्र संचयों में शामिल हैं-(i) Surplus/Profit as shown by Statement of Profit and Loss, (ii) General Reserve, (iii) Dividend Equalisation Reserve, (iv) Vorious Funds (after deducting liability, if any) such as Workmen’s Compensation Fund, Insurance Fund, (v) Sinking Fund, (vi) Investment Fluctuation Reserve.
धारा 68 के Explanation II के अनुसार प्रतिभूति प्रीमियम खाते को भी स्वतन्त्र/मुक्त संचय में शामिल किया जाता है। वापस-क्रय के स्रोत के रूप में न उपलब्ध होने वाले संचयों के उदाहरण (Example of Reserves not available as source of buy-back)-(i) Revaluation Reserve, (ii) Capital Redemption Reserve (Existing), (iii) Debenture Redemption Reserve, (iv) Shares Forfeited Account, (v) Profits Prior to Incorporation, (vi) Capital Reserve, (vii) Statutory Tax Reserves.
पँजी शोधन संचय खाते में निश्चित राशि का अन्तरण (हस्तान्तरण) (Transfer of Certain Sums to Capital Redemption Reserve)-कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 69(1) के अनुसार जब एक कम्पनी स्वतन्त्र/मुक्त संचयों अथवा प्रतिभूति प्रीमियम खाते से अपने अंशों का वापस-क्रय करती है तो इस प्रकार वापस-क्रय किए जाने अंशों के अंकित मूल्य (Nominal orFace Value of Buy-back Shares) के बराबर राशि पूँजी शोधन संचय खाते (Capital Redemption Reserve Account) में अन्तरित (Transfer) की जायेगी एवं इस अन्तरण/हस्तान्तरण का ब्यौरा (विवरण) चिठे में प्रकट करना होगा। धारा 69(2) के अनुसार पूँजी शोधन संचय खाते का उपयोग कम्पनी अपने अनिर्गमित अंशों को अपने सदस्यों को पूर्णदत्त बोनस अंशों को निर्गमित करने के लिए कर सकती है।
अंशों को वापस-क्रय करने की शर्ते
(Conditions for Buy-back of Shares)
कम्पनी अधिनियम 2013 कीधारा 68(2) के अनुसार एक कम्पनी निम्नलिखित शर्तों के पूरा करने पर ही अपने अंश क्रय कर सकती है_
- वापस-क्रय कम्पनी के अन्तर्नियमों (Articles of Association) द्वारा अधिकृत होना चाहिए।
- कम्पनी की साधारण सभा में अंशों के वापस-क्रय को अधिकृत करने वाला विशेष प्रस्ताव पारित कर लिया गया हो। परन्तु निम्नलिखित परिस्थितियों में यह शर्त लागू नहीं होगी-
(i) जब वापसी खरीद, कम्पनी की कुल प्रदत्त समता अंश पूँजी (Total paid-up equity share capital) एवं मुक्त/स्वतन्त्र संचयों के 10% या उससे कम हो, एवं (ii) संचालक मण्डल द्वारा अपनी सभा में एक प्रस्ताव पारित करके अंशों के वापस-क्रय को अधिकृत कर दिया गया हो।
- अंशों का वापस-क्रय कम्पनी की कुल चुकता पूँजी एवं मुक्त संचयों के 25% से अधिक नहीं होना चाहिए।
- अंशों को वापस-क्रय करने के बाद ऋण समता अनुपात (Debt-equity Ratio)2 नहीं होना चाहिए। परन्तु केन्द्रीय सरकार कम्पनियों के किसी वर्ग (Class) या वर्गों (Classes) के लिए ऊँचा ऋण-समता अनुपात अधिसूचित कर सकती है।
- वापस-क्रय किए जाने सभी अंश अथवा अन्य निर्दिष्ट प्रतिभूतियाँ पूर्णत: चुकता (Fully paid-up)
- किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध (Listed) अंशों अथवा अन्य निर्दिष्ट प्रतिभतियों का वापस-क्रय सेबी (SEBI) द्वारा बनाए गए नियमों के अनुरूप होना चाहिए।
- उपरोक्त शर्त (6) में वर्णित अंशों अथवा अन्य निर्दिष्ट प्रतिभूतियों के अतिरिक्त अन्य वापस-क्रय निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार ही किया गया हो।
नोट – उपरोक्त वर्णित धारा 68(2) के अन्तर्गत वापसी-खरीद का प्रस्ताव पिछले वापसी-खरीद के प्रस्ताव ( यदि कोई हो तो) के समाप्त होने की तिथि से एक वर्ष के अन्दर नहीं किया जा सकता है। इसका अर्थ यह है कि वापसी-क्रय का प्रस्ताव एक वर्ष में केवल एक बार ही किया जा सकता है। वापसी-खरीद के पूरा होने की समय सीमा (Time Limit for Completion of Buy-baction 68(4)]-अंशों को वापस-क्रय करने का कार्य कम्पनी की साधारण सभा में पारित विशेष परम संचालक मण्डल की सभा में पारित प्रस्ताव (जैसी भी स्थिति हो) की तिथि के एक वर्ष की अवधि पूरा हो जाना चाहिए। वापस-क्रय के तरीके (Modes of Buy-back) [धारा 68(5)]-अंशों का वापस-क्रय निम्नलिखित में से किसी भी तरीके से किया जा सकता है- (i) विद्यमान अंशधारियों अथवा प्रतिभूतिधारकों से आनुपातिक आधार पर क्रय, अथवा (ii) खुले बाजार से क्रय, अथवा (iii) स्कन्ध विकल्प योजना (Stock Option Plan) या स्वैट समता योजना (Sweat FM Scheme) के अन्तर्गत कर्मचारियों को निर्गमित की गई प्रतिभूतियों का क्रय। _ कम्पनी की शोधन क्षमता की घोषणा (Declaration of Solvency) [धारा 68(6)]-कम्पनी को कम्पनियों के रजिस्ट्रार और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India or SEBI) के पास शोधन क्षमता की घोषणा (Declaration of Solvency) फाइल करनी होगी, जिस पर कम्पनी के कम से कम दो संचालकों के हस्ताक्षर होने चाहिए जिनमें से एक प्रबन्ध संचालक होगा, यदि कोई हो। यह घोषणा निर्धारित प्रारूप SH9 में एक शपथ पत्र द्वारा प्रमाणित (Verified by an affidavit) होगी। शपथ पत्र में यह लिखा होना चाहिए कि संचालक मण्डल ने कम्पनी के कार्य-कलापों की पूरी जाँच कर ली है और इसके परिणामस्वरूप उनका यह मत है कि कम्पनी अपने दायित्वों को पूरा करने में सक्षम है और यह संचालक मण्डल द्वारा की गई घोषणा के एक वर्ष तक दिवालिया नहीं होगी। यहाँ पर यह भी उल्लेखनीय है यदि किसी कम्पनी के अंश मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध नहीं हैं तो ऐसी कम्पनी को सेबी के पास शोधन क्षमता की घोषणा फाईल करने की आवश्यकता नहीं होती है। वापस खरीदी गई प्रतिभूतियों का भौतिक विनाश (Physical Destruction of Securities Bought Back) [धारा 68(7)|–कम्पनी वापस-क्रय किए गए अंशों या प्रतिभूतियों को वापसी खरीद पूर्ण होने की अन्तिम तिथि के 7 दिन के भीतर वापस-क्रय की गई प्रतिभूतियों को भौतिक रूप से नष्ट कर देगी। नए निर्गमन पर विलम्बन (Moratorium on Fresh Issue) [धारा 68(8)]-जब एक कम्पनी अंशों या अन्य निर्दिष्ट प्रतिभूतियों की वापसी खरीद का काम पूरा कर लेती है तो उसी प्रकार के अंशों का आगामी 6 माह तक निर्गमन नहीं किया जा सकता। परन्तु बोनस अंशों के निर्गमन अथवा पूर्वाधिकार अंशों या ऋणपत्रों को समता अंशों में परिवर्तित करने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है। वापस-क्रय की गई प्रतिभूतियों का रजिस्टर रखना (Maintain a Register of the Securities Bought Back) [धारा 68(9)]-जब कम्पनी अपनी प्रतिभतियों की वापसी खरीद करती है तो वह वापस-क्रय की गई प्रतिभूतियों के सम्बन्ध में फॉर्म नम्बर SH10 एक रजिस्टर रखेगी जिसमें प्रतिभूतियों के लिए चुकाया गया प्रतिफल, प्रतिभूतियों को रद्द करने की तारीख, प्रतिभूतियों को भौतिक रूप से नष्ट करने का तारीख तथा अन्य विवरण जो निर्धारित किए जायें, लिखे जायेंगे। रजिस्ट्रार एवं सेबी के पास विवरणी फाइल करना (File a Return with the Registrar and SEBI) [धारा 68(10)]-वापसी खरीद पूर्ण होने के 30 दिन के भीतर कम्पनी फॉर्म नम्बर SH11 – रजिस्टार तथा सेबी के पास एक विवरणी फाइल करेगी जिसमें निर्धारित की गई बातों का उल्लेख किया जा है। यहाँ पर यह उल्लेखनीय है कि यदि किसी कम्पनी के अंश सचीबद्ध नहीं हैं तो सेबी के पास कोई विवरण फाइल नहीं की जाएगी।
प्रावधानों के पालन न करने पर दण्ड (Penalty for Default [धारा 68(101-यदि कोई कम्प इस धारा के प्रावधानों के पालन में चूक करती है तो कम्पनी पर कम से कम 1 लाख तथा अधिकतम 30 रू. तक का जुर्माना किया जा सकता है तथा कम्पनी के दोषी अधिकारी को 3 साल की जेल अथवा 1 लाखर लेकर 3 लाख रू. तक का जुर्माना अथवा जेल एवं जुर्माना दोनों सजाएँ दी जा सकती है।
वापसी खरीद की निषेध/प्रतिबन्ध की परिस्थितियाँ (धारा 70)
(Prohibition for Buy-back in Certain Circumstances)
- एक कम्पनी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपने अंशों या अन्य निर्दिष्ट प्रतिभूतियों की वापसा नहीं करेगी-
(a) किसी सहायक कम्पनी (जिसमें अपनी स्वयं की सहायक कम्पनी भी सम्मिलित होगी) के से, अथवा (b) किसी विनियोग कम्पनी या विनियोग कम्पनियों के समूह के माध्यम से, अथवा (C) यदि कम्पनी का किसी निक्षेप अथवा उस पर देय ब्याज के पुनर्भुगतान में ऋणपत्रों या अधिमान गोधन में या किसी अंशधारी को लाभांश के भुगतान में या किसी बैंक या वित्तीय संस्था को देय सावधि उस पर देय ब्याज के भुगतान में दोष जारी है। परन्तु यदि कम्पनी ने दोष को सुधार लिया हो तथा दोष जहए तीन वर्ष बीत चुके हों तो वापसी खरीद को निषेध नहीं किया जा सकता है। [धारा 70(1)]
- यदि किसी कम्पनी ने कम्पनी अधिनियम की 92, 123, 127 तथा 129 धाराओं का पालन नहीं किया जो वह अपने अंशों अथवा अन्य निर्दिष्ट प्रतिभूतियों की प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से वापसी खरीद नहीं करेगी। [धारा 70(2)]
वापस-क्रय के सम्बन्ध में सेबी द्वारा जारी किए गए प्रमुख दिशा-निर्देश
(Main Guidelines Issued by SEBI with Regard to Buy-back)
1 अंशों की क्रय-वापसी का अधिकतम मूल्य या तो अंशधारियों द्वारा अपनी सभा में विशेष प्रस्ताव द्वारा अथवा संचालक मण्डल द्वारा अपनी सभा में पास किए गए प्रस्ताव द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
- वापस-क्रय ऑफर कम से कम 15 दिन और अधिक से अधिक 30 दिन तक खुली रहेगी।
- यदि वापस-क्रय के लिए प्राप्त हुए अंश उन अंशों से अधिक हैं जो वापस-क्रय किए जाने हैं तो प्रत्येक सदस्य से वापस-क्रय किए जाने वाले अंशों की संख्या आनुपातिक आधार पर निर्धारित की जाएगी।
एसक्रो खाते में जमा कराना (Deposit in an Escrow Account)-एसक्रो खाते से आशय किसी तीसरे पक्षकार के पास कोई बॉण्ड अथवा रूपया तब तक जमा रखने से है जब तक कि कोई निश्चित कार्य पूरा न कर दिया जाए। सेबी दिशा-निर्देशों के अनुसार अंशों की क्रय-वापसी योजना के अन्तर्गत अपने दायित्व को पूरा करने के लिए कम्पनी को किसी तीसरे पक्षकार (प्राय: बैंक) के पास एक एसक्रो खाता खोलना आवश्यक है जिसमें निम्न को शामिल किया जा सकता है – (a) एक व्यापारिक बैंक के पास जमा राशि, अथवा (b) मर्चेन्ट बैंकर के पक्ष में गारन्टी, अथवा (c) उचित मार्जिन के अन्तर्गत जमा की गई स्वीकृत प्रतिभूतियाँ अथवा (d) मर्चेन्ट बैंकर के पास जमा (a), (b) तथा (क) का योग। वापस-क्रय के लिए चुकाई जाने वाली राशि यदि 100 करोड़ तक हो तो एसक्रो खाते में ऐसी राशि का 25% जमा कराना होगा और यदि चुकाई जाने वाली राशि 100 करोड़ रू. से अधिक हो तो ऐसे आधिक्य का 10% भी जमा कराना होगा। जिन अंशधारियों ने क्रय-वापसी के ऑफर को स्वीकार किया है उन्हें देय सभी राशियाँ चुका देने के उपरान्त कम्पनी द्वारा एसक्रो खाते में जमा की गई राशियों अथवा प्रतिभूतियों को मुक्त कर दिया जाएगा। यदि कम्पनी क्रय-वापसी के अपने दायित्वों को पूरा नहीं करती है तो सेबी द्वारा एसक्रो खाते को जब्त किया जा सकता है।
वापस-क्रय के लाभ (Advantages of Buy-back)-1. अंशों की वापसी खरीद कम्पनियों को उनके फालतू रोकड़ के लाभदायक प्रयोग में सहायक होती है। 2. कम्पनी द्वारा अपने संकलित संचयों को लाभांश के रूप में वितरित करने के स्थान पर अंशों के वापसी-क्रय में प्रयोग करने से निगमित लाभांश कर (Corporate Dividend Tax) बचाया जा सकता है। 3. यह कम्पनी को अनावश्यक पूँजी से छुटकारा पाने में सहायक है जिससे कम्पनी अपनी प्रति अंश आय (Earning Per Share) में वृद्धि कर सकती है। 4. अंशों की वापसी खरीद से प्रवर्तकों की थाती में वृद्धि होती है।
वापसी-क्रय के खतरे (Dangers of Buy-back)-1. इससे आन्तरिक-व्यापार (Inside trading) का सम्भावना बढ़ जाती है। 2. यह अंशों के मूल्य में कृत्रिम हेरा-फेरी को प्रोत्साहित करता है। 3. यह अल्पमत अंशधारियों की स्थिति को कमजोर करता है।
अंशों की वापसी खरीद के लिए लेखांकन
(Accounting for Buy-back of Shares)
अंशों की वापसी खरीद का लेखांकन निम्नलिखित प्रकार किया जाता है
- जिन अंशों की वापसी खरीद की जा रही है वे पूर्णदत्त होने चाहियें। यदि अंश पूर्णदत्त नहीं हैं तो आन्तम मॉग देय करके उन्हें पूर्णदत्त (Fully Paid-up) बनाया जायेगा।
- यदि कम्पनी अंशों की वापसी खरीद के उद्देश्य से नए अंशों अथवा अन्य निर्दिष्ट प्रतिभूतियों का मन करती है तो निर्गमन सम्बन्धी उपयुक्त प्रविष्टियाँ की जायेंगी।
- यदि अंशों की वापसी खरीद मुक्त संचयों (Free Reserves) से की जाती है तो ऐसे अंशों के अंकित के बराबर राशि पूँजी शोधन संचय खाते में हस्तान्तरित/अन्तरित की जायेगी। इसकी निम्नलिखित प्रविष्टि
होगी General Reserve Alc Dr. Surplus/Statement of Profit & Loss Dr. Securities Premium A/c Dr.
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