B.Com 2nd Year Accounting For Overheads Long Notes
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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न –
प्रश्न 1- विक्रय उपरिव्यय तथा वितरण उपरिव्यय की परिभाषा दीजिए। प्रत्येक के चार उदाहरण दीजिए। समझाइए कि विक्रय उपरिव्ययों को उत्पादों पर कैसे वितरित किया जाता है?
Define selling overheads and distribution overheads. Give four examples of each. Explain how selling overheads are allocated to products?
अथवा अप्रत्यक्ष व्ययों से क्या अभिप्राय है? उनका कार्यानुसार वर्गीकरण किस प्रकार किया जाएगा?
What is indirect expenses ? How would you classify them according to their functions ?
अथवा कारखाना, कार्यालय तथा वितरण उपरिव्ययों के चार-चार उदाहरण दीजिए।
Give four examples each of factory, office and distribution overheads?
उत्तर – अप्रत्यक्ष व्ययों का अभिप्राय
(Meaning of Indirect Expenses) अप्रत्यक्ष व्यय वे व्यय हैं जिनका उत्पादन से प्रत्यक्ष सम्बन्ध तो नहीं होता है, बल्कि वे उत्पादन को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। डब्ल्यूडब्ल्यू० बिग के शब्दों में, “अप्रत्यक्ष र व्ययों में वे सभी व्यय सम्मिलित किए जाते हैं जो किसी एक इकाई विशेष से सम्बन्धित न हों।” एन० सरकार के शब्दों में, “अप्रत्यक्ष व्यय वे व्यय हैं जिनको कि प्रत्यक्ष रूप से न बाँटा जा सके, अत: उनके बँटवारे के लिए कुछ निश्चित सिद्धान्त होने चाहिए।” किसी व्यय को प्रत्यक्ष ल व्यय माना जाए अथवा नहीं, यह सिद्धान्त की अपेक्षा सुविधा पर अधिक निर्भर करता है। एक है व्यवसाय के लिए किसी व्यय को प्रत्यक्ष मानना सुविधाजनक हो सकता है, जबकि उसी व्यय को दूसरे व्यवसाय द्वारा प्रत्यक्ष व्यय मानना असुविधाजनक हो सकता है। वास्तव में, प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष व्ययों का बँटवारा एक आधारभूत महत्त्व रखता है। यदि फैक्ट्री का विभिन्न विभागों में विभागीकरण कर दिया गया है तो अधिकांश व्यय प्रत्यक्ष व्यय माने जाएंगे।
मूल लागत के अतिरिक्त जितने भी व्यय होते हैं वे सभी उपरिव्यय कहलाते हैं। उपरिव्यय में निम्नलिखित राशियाँ सम्मिलित हैं-
(i) अप्रत्यक्ष सामग्री,
(ii) अप्रत्यक्ष श्रम,
(iii) अप्रत्यक्ष व्यय।
उपरिव्यय का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता है-
कार्यानुसार वर्गीकरण, तत्त्वानुसार वर्गीकरण, व्यय आचरणानुसार वर्गीकरण तथा नियन्त्रणानुसार वर्गीकरण।
कार्यानुसार वर्गीकरण
(Functionwise Classification)
इस प्रकार के व्ययों को मुख्य रूप से चार भागों में विभक्त किया जाता है
I. कारखाना उपरिव्यय या उत्पादन उपरिव्यय,
II. प्रशासन उपरिव्यय,
III. विक्रय उपरिव्यय,
IV. वितरण उपरिव्यय।
I. कारखाना उपरिव्यय (Factory Overheads)-इसके अन्तर्गत इस प्रकार के व्यय सम्मिलित किए जाते हैं जो निर्माण से सम्बन्ध रखते हैं। कारखाना उपरिव्यय में मुख्य रूप से अग्रलिखित व्ययों का समावेश किया जाता है
(1) कारखाने के लिपिक-कार्य का व्यय,
(2) श्रमिक कल्याण के लिए किए गए व्यय,
(3) उत्पादन के निरीक्षण का व्यय,
(4) प्रयोगात्मक तथा अनुसन्धानात्मक व्यय यदि वे प्रत्यक्ष व्यय न हों,
(5) कारखाने में नए कर्मचारियों का प्रशिक्षण व्यय,
(6) कारखाने की स्टेशनरी व टेलीफोन व्यय,
(7) शक्ति-गृह की मरम्मत, देखभाल व घिसाई का व्यय,
(8) आधसमय का पारिश्रमिक (यदि मल परिचय में सम्मिलित न किया गया हो।
(9) अवकाश दिवसों का वेतन,
(10) कार्यहीन काल का साधारण व्यय,
(11) नक्शा कार्यालय का वेतन आदि व्यय (यदि उसे प्रत्यक्ष व्यय नहीं माना
(12) छोटे औजारों का व्यय,
(13) छोटी-मोटी वस्तुएँ; जैसे-पेच, कीलें, बोल्ट्स आदि,
(14) मशीन का तेल और सफाई व्यय
(15) अप्रत्यक्ष सामग्री; जैसे—खराब कपास, ब्रश, पेटी आदि,
(16) भण्डार के व्यय,
(17) सामग्री की साधारण हानि,
(18) कारखाने के भवन, प्लाण्ट व मशीन की मरम्मत व अनुरक्षण का व्यय,
(19) कारखाने के अन्दर प्रकाश व शक्ति पर किए गए व्यय,
(20) उचित सीमा तक सम्मिलित किया जाने वाला पूँजी पर ब्याज यदि इसे परिव्यय का अंग मान लिया गया हो,
(21) कारखाने के मैनेजर व प्रमुख अधिकारियों का वेतन,
(22) कारखाने का ह्रास,
(23) कारखाने की सम्पत्ति व मशीन आदि का बीमा व्यय,
(24) कारखाने के भवन पर लगने वाला म्युनिसिपल कर,
(25) कारखाने की भूमि तथा भवन का किराया।
II. प्रशासन उपरिव्यय (Administrative Overheads)-इसके अन्तर्गत उन व्ययों का समावेश होता है जो व्यय प्रशासन वित्त एवं अन्य व्यवस्था से सम्बन्धित कार्यों के लिए किए जाते हैं। इसके अन्तर्गत हम निम्नलिखित व्ययों का समावेश करते हैं
(1) विविध कार्यालय व्यय,
(2) अधिकोष व्यय,
(3) वित्तीय व्यय,
(4) कानूनी खर्चे,
(5) कार्यालय की स्टेशनरी तथा पुस्तकों का व्यय,
(6) कार्यालय को वातानुकूलित करने का व्यय,
(7) प्रबन्ध अभियन्ता या प्रबन्ध आदि का वेतन व पारिश्रमिक,
(8) कार्यालय के प्रबन्ध व कर्मचारियों का वेतन,
(9) कार्यालय भवन का ह्रास, मरम्मत, किराया व बीमा,
(10) कार्यालय के प्रकाश का व्यय,
(11) कार्यालय के फर्नीचर की मरम्मत व घिसाई,
(12) डाक व्यय व टेलीफोन व्यय,
(13) संचालक एवं अंकेक्षण फीस।
III. विक्रय उपरिव्यय (Selling Overheads)-इसके अन्तर्गत उन व्ययों का समावेश होता है जो प्रत्यक्ष रूप से बिक्री से ही सम्भव होते हैं, इसके अन्तर्गत मुख्य रूप से हम निम्नलिखित मदों का समावेश करते हैं
(1) विज्ञापन व्यय,
(2) विक्रय प्रतिनिधियों का कमीशन, वेतन आदि,
(3) विक्रय व विज्ञापन प्रबन्धकों का वेतन,
(4) अप्राप्त ऋण,
(5) दुकान पर वस्तु प्रदर्शन व्यय,
(6) विक्रय एजेन्सी व शाखाओं के व्यय,
(7) टेण्डर मूल्य का अनुमान लगाने के व्यय तथा उनके लिए नक्शे व डिजाइन आदि बनाने का व्यय,
(8) मूल्य सूची तथा नमूने भेजने का व्यय,
(9) विक्रय यात्री व्यय,
(10) ग्राहकों को दिया गया कमीशन व कटौतियाँ,
(11) अप्राप्त ऋणों की वसूली के लिए कानूनी व्यय तथा अन्य व्यय,
(12) बिक्री से सम्बन्धित डाक व्यय,
(13) ग्राहकों के स्वागतार्थ किए गए फुटकर व्यय।
IV. वितरण उपरिव्यय (Distribution Overheads)-ये व्यय वे व्यय हैं जो वस्तु तैयार करने के उपरान्त ग्राहकों तक पहुँचाने के लिए किए जाते हैं। इसके अन्तर्गत मुख्य रूप से निम्नलिखित व्ययों का समावेश होता है
(1) बिक्री के माल का ढुलाई व्यय,
(2) गोदाम का व्यय; जैसे-किराया, मरम्मत, ह्रास, गोदाम के चौकीदार तथा कर्मचारियों का वेतन, माल का चोरी व अग्नि से बीमा आदि,
(3) गोदाम में निर्मित माल की हानि,
(4) पैकिंग सामग्री व पैकिंग के अन्य व्यय,
(5) सुपुर्दगी गाड़ियों का व्यय, मरम्मत, घिसाई आदि।
बिक्री व वितरण परिव्ययों का बँटवारा
(Allocation of Selling and Distribution Oncost)
फैक्ट्री परिव्ययों तथा कार्यालय परिव्ययों की भाँति बिक्री तथा वितरण के बँटवारे की समस्या इतनी अधिक जटिल नहीं है। यदि ये व्यय कम होते हैं तो इन्हें कार्यालय व्ययों के अन्दर ही सम्मिलित कर लिया जाता है। इसके विपरीत, यदि वे व्यय अधिक होते हैं तो इनके विभाजन के लिए एक वैज्ञानिक विधि का प्रयोग किया जाता है। मुख्य रूप से बिक्री व वितरण परिव्यया का बँटवारा निम्नलिखित आधारों पर किया जा सकता है
1.बिक्री मूल्य या बिक्री मूल्य लागत का एक निश्चित प्रतिशत (A Percentage on Selling Price or Cost of Goods Sold)–बिक्री व्यय बिक्री मल्य या बिके माल का लागत का एक निश्चित प्रतिशत लिया जा सकता है। इस प्रकार का प्रतिशत गत अनुभवा क आधार पर निर्धारित कर लिया जाता है।
2. प्रति वस्तु की अनुमानित दर या उत्पादन आधार (An Estimation pel Article or Output Basis)—यदि बिक्री व्यय उत्पादन के अनुपात में घटते-बढ़ते है आ उत्पादन निरन्तर एक ही किस्म की वस्तुओं का होता है तो सम्पूर्ण बिक्री व्ययों को बिक्री की
जाने वाली वस्तुओं से भाग देकर वस्तु की अनुमानित बिक्री लागत ज्ञात कर ली जाती हैं। इस प्रकार का अनुमान साधारणत: उन दशाओं में उपयुक्त होता है जहाँ पर एक ही प्रकार की वस्तओं का उत्पादन किया जाता हो।
3. फैक्टी लागत के प्रतिशत के आधार पर (A Percentage on Works Cost) इस विधि के अन्तर्गत बिक्री परिव्ययों को फैक्ट्री लागत का एक निश्चित प्रतिशत मान लिया जाता है। यह अनुमान मुख्य रूप से वहाँ पर उचित होता है जहाँ पर प्रबन्ध सम्बन्धी व्यय अधिक न होते हों तथा उत्पादन और विक्रय का एक प्रत्यक्ष सम्बन्ध हो।
प्रश्न 2 – निम्नलिखित सूचना से कुल किलोमीटर तथा कुल पैसेन्जर किलोमीटर्स की गणना कीजिए की गणना कीजिे।
बसो की कुल संख्या : 10
मास में चलने के दिन : 25
प्रति बस द्वारा किए गए खेप : 2
मार्ग की दूरी : 30 किमी लम्बी ( एक तरफ से)
बस की क्षमता : 80
यात्री यात्रा करने वाले सामान्य यात्री : क्षमता के 90%
From the following information, calculate total kms. and total passenger kms. :
No. of buses : 10
Days operated in the month : 25
Trips made by each bus : 2
Distance of route : 30 kms. (one side)
Capacity of bus : 80 passengers
Normal passengers travelling : 90% of capacity.
हल (Solution) : कुल किलोमीटर्स की गणना
= 10 बसें x 25 दिन x 2 खेप x 30 किमी x 2 = 30,000 किमी कुल पैसेन्जर किलोमीटर्स की गणना
= 10 बसें x 25 दिन x 2 खेप x 30 किमी x 2 x 80 यात्री x 90%
= 21,60,000 यात्री-किमी।
प्रश्न 3 – निम्नांकित सूचना से कुल किलोमीटर तथा कुल यात्री किलोमीटर की गणना कीजिए
From the following information, calculate total kms. and total passenger kms. :
बसों की संख्या (No. of buses) – 8.
एक माह में कार्य दिनों की संख्या – 25
(Days operated in a month)
प्रत्येक बस की ट्रिप – 3
(Trips made by each bus)
रूट की दूरी (Distance of route) – 35 kms. long (one side)
बस की क्षमता (Capacity of bus) – 55 yasit (passengers)
सामान्य क्षमता का उपयोग – 80%
(Normal Capacity Utilization)
हल (Solution):
Total kilometer = No. of Bus x Trip x 2 x Distance x Days
= 8x3x2x35x25 = 42,000 km.
Total Passenger kms. = No. of Bus X Trip x 2x Distance x Days
x Passenger x Capacity Utilized
= 8x3x2x35x25x55x80%
= 18,48,000 Pass. kms.
प्रश्न 4 – एक टैक्सी एक माह में औसतन 10,000 किमी चलती है जिसमें 20% खाली चलती है। परिवर्तनशील लागत प्रति किमी रू. 3 है। ज्ञात कीजिए
(i) कुल परिवर्तनशील लागत।
(ii) प्रभावी किलोमीटर।
(iii) प्रति प्रभावी किमी परिवर्तनशील लागत।
A taxi runs an average 10,000 kms. in a month out of which 20% is normally runs vacant. Variable Cost per km is रू. 3. Find out :
(i) Total Variable Cost
(ii) Effective kms.
(iii) Variable Cost per effective kms.
हल (Solution) : रू.
Variable Cost 10,000×3 = 30,000
Effective kms. 10,000×80% = 8,000
Variable Cost per effective kms.
(30,000+ 8,000) = 3.75
प्रश्न 5 – निम्न सूचना से कुल किलोमीटर्स तथा कुल पैसेंजर किलोमीटर्स की गणना कीजिए।
बसों की कुल संख्या – 20
माह में चलने के दिन – 25
प्रति बस द्वारा किए गए खेप – 2
मार्ग की दूरी – 60 किमी (दोनों तरफ से)
बस की क्षमता – 80 यात्री
सामान्य यात्री यात्रा करने वाले – क्षमता के 90%
From the following information, calculate total kms. and total passenger kms. :
No. of Buses – 20
20 Days operated in the month – 25
Trips made by each Bus – 2
Distance of Route – 60 kms. (both sides)
Capacity of Bus – 80 passengers
Normal passengers travelling – 90% of capacity
हल (Solution) :
Total kms. = 20 Busesx25 daysx 2Tripsx 60kms. = 60,000 Kms.
Total Passenger kms. = 20 Buses x 25 days x 2 Trips x 60 kms.
x 80 Passengers x 90% Capacity
= 43,20,000 Passenger kms.
प्रश्न 6-निम्नलिखित विवरणों से X मशीन की घण्टा दर ज्ञात कीजिए-
Calculate Machine Hour Rate of X machine from the following:
लागत रू. 24,000
अवशेष मूल्य रू. 4,000
अनुमानित कार्यशील जीवन रू. 40,000 घण्टे
सम्पूर्ण जीवनकाल में अनुमानित मरम्मत एवं अनुरक्षण व्यय रू. 2,000
4 सप्ताह की अवधि के लिए कार्यशाला के स्थायी व्यय रू. 3,000
4 सप्ताह की अवधि में कार्यशील घण्टे रू. 100
विभाग में 30 मशीनें हैं और प्रत्येक पर स्थायी व्ययों का बराबर भार पड़ना है।
शक्ति का उपयोग प्रति घण्टे 4 इकाइयाँ दर 20 पैसे प्रति इकाई। हल (Solution) : Computation of Machine Hour Rate (Working Hours per 4 Weekly Period 100 Hours)

प्रश्न 7 – निम्नलिखित समंकों के आधार पर मशीन घण्टा दर ज्ञात कीजिए-
Calculate the machine hour rate on the basis of following
Cost of Machine रू. 18,700
Estimated Scrap value after the expiry of
its useful life of 9 years रू. 700
Annual running time of the machine रू. 4,000
hours Power consumed by machine 5 units per hour
Rate of power 8 paise per unit
Annual factory overheads रू. 9,120
Charge one-sixth of the annual overheads to this machine.
हल (Solution): Computation of MHR
Base Period : One Year Working Hours : 4,000

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