B.Com 2nd Year Factories Act Basic Provisions Long Notes

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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1 – (i) कारखाना, (ii) श्रमिक, (iii) शक्ति परिभाषित कीजिए।

Define the terms (i) Factory, (ii) Worker (Labours), (ii) P. (iv) Manufacturing process.

उत्तर – (1) कारखाना (Factory)

कारखाने का अभिप्राय निम्नलिखित किसी भी भू-गृह (premises) से है जिसे उसकी परिसीमा (precincts) भी सम्मिलित है

(i) जहाँ दस या दस से अधिक श्रमिक कार्यरत हों अथवा गत 12 माह में किसी भी दिन कार्यरत थे तथा उक्त भू-गृह में अथवा शक्ति की सहायता से उसके किसी भी भाग में निर्माण प्रक्रिया की जा रही हो अथवा सामान्यतया की जाती हो, अथवा

(ii) जहाँ बीस या बीस से अधिक श्रमिक कार्यरत हों अथवा गत 12 माह में किसी भी दिन कार्यरत थे तथा उक्त भू-गृह में उसके किसी भी भाग में शक्ति की सहायता से निर्माण प्रक्रिया की जा रही हो अथवा सामान्यतया की जाती हो।

‘कारखाने‘ की परिभाषा में खदानें (Mines) सम्मिलित नहीं हैं क्योंकि खदानों के सम्बन्ध में भारतीय खदान अधिनियम, 1952 पृथक् रूप से लागू होता है। इसी प्रकार, रेलवे रनिंग शेड भी कारखाना नहीं है क्योंकि इस पर भी पृथक् अधिनियम लागू होता है।

भारतीय संघ की सशस्त्र सेना की चलित इकाई (Mobile unit) को भी कारखाना नहीं माना जाएगा।

स्पष्टीकरण I – श्रमिकों की संख्या की गणना हेतु विभिन्न समूहों तथा वर्गों के सभा श्रमिकों को ध्यान में रखा जाएगा।

स्पष्टीकरण II – भवन या उसके भाग में स्थापित इलेक्ट्रॉनिक द्वारा प्रोसेसिंग इकाई अथवा कम्प्यूटर इकाई अथवा उसके किसी भाग को कारखाना नहीं माना जाएगा यदि ऐसे भवन में कोई निर्माण प्रक्रिया नहीं की जाती है।

(II) श्रमिक (Worker) 

श्रमिक का अभिप्राय उस व्यक्ति से है जो प्रत्यक्ष रूप से अथवा किसी एजन्ता द्वारा (जिसमें ठेकेदार भी सम्मिलित है) नियुक्त किया जाता है। श्रमिक मजदूरी पर अ बिना मजदूरी के नियुक्त किया जा सकता है। वह प्रधान नियोक्ता की जानकारी अथवा जानकारी के नियुक्त किया जा सकता है। उसे कारखाने में निर्माण प्रक्रिया करने अथवा नि प्रक्रिया हेतु प्रयुक्त भवन या यन्त्र के किसी भाग को साफ करने के लिए अथवा निर्माण प्रक्रिया से सम्बन्धित कोई अन्य कार्य करने के लिए नियुक्त किया जाता है। श्रमिक में भारतीय स सशस्त्र सेनाओं के किसी भी सदस्य को सम्मिलित नहीं किया गया है।

शक्ति (Power) शक्ति का अभिप्राय विद्युत शक्ति अथवा अन्य प्रकार की किसी शक्ति से है, जो यन्त्रों द्वारा प्रेषित की जाती है और जो मानव या पशु साधन से उत्पन्न नहीं की जाती।

(IV) निर्माण प्रक्रिया (Manufacturing Process) 

निर्माण प्रक्रिया का अभिप्राय निम्नलिखित उद्देश्य हेतु की गई किसी भी प्रक्रिया से है

(i) किसी वस्तु या पदार्थ को प्रयुक्त करने, बेचने, परिवहन करने, सुपुर्दगी अथवा व्यवस्था करने के उद्देश्य से बनाना, परिवर्तित करना, मरम्मत करना, सजाना, पूर्ण करना या फिनिश करना, पैकिंग करना, तेल देना, धोना, साफ करना, टुकड़े-टुकड़े करना, ढहाना या अन्य किसी प्रकार से उपयुक्त उद्देश्य हेतु काम में लाना।

(ii) तेल, पानी या गन्दे पदार्थ अथवा अन्य किसी भाग को निकालना या पम्प करना। 

(iii) शक्ति उत्पादन करना, परिवर्तित करना अथवा प्रेषित करना।

(iv) मुद्रण हेतु टाइप कम्पोज करना, लेटर प्रेस द्वारा मुद्रण करना, पत्थर पर लिखकर छपाई करना (lithography), फोटो के चित्र को धातु चद्दर पर उतारकर खोदना (photograving) या इसी प्रकार की अन्य कोई क्रिया करना अथवा पुस्तक की जिल्द बाँधना।

(v) जहाजों अथवा नावों का निर्माण करना, पुनर्निर्माण करना, मरम्मत करना, दोबारा सुधारना, फिनिश करना, विघटित करना।

(vi) शीतगृह में किसी वस्तु का संग्रह करना या उसे सुरक्षित रखना।

स्पष्टीकरण – कोई क्रिया निर्माण क्रिया है अथवा नहीं यह निश्चय करने के लिए कोई निश्चित कसौटी नहीं है। यह तो प्रत्येक मामले की परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। प्रत्येक मामले में निर्माण प्रक्रिया का निर्धारण उस मामले विशेष के तथ्यों, प्रक्रिया की प्रकृति, प्रक्रिया के अन्तिम परिणाम तथा प्रचलित व्यावसायिक एवं वाणिज्यिक विचार आदि को दृष्टिगत रखकर किया जाएगा। निर्माण करने के लिए रूपान्तर अनिवार्य है। किसी वस्तु या पदार्थ के लिए किया गया कोई श्रम ही निर्माण नहीं होगा, चाहे यह श्रम मशीन के माध्यम से ही क्यों न किया गया हो। श्रम के फलस्वरूप जब तक उस पदार्थ को एक ऐसे दूसरे व्यापारिक पदार्थ का रूप न दे दिया गया हो जो पहले पदार्थ से भिन्न है, तब तक उस श्रम को निर्माण संज्ञा नहीं दी जा सकती। अत: निर्माण प्रक्रिया में किसी वस्तु की प्रकृति अथवा उसके स्वभाव में परिवर्तन आवश्यक है।

कारखाना अधिनियम में ‘निर्माण प्रक्रिया’ शब्द विस्तृत अर्थ में प्रयुक्त हुआ है।

प्रश्न 2 – कारखाना अधिनियम के उन प्रावधानों की विवेचना कीजिए जो श्रमिकों की सुरक्षा के सम्बन्ध में हैं।

Diseuss the provisions of Factories Act regarding the safety of the workers.

उत्तर – इस अधिनियम की 21 से 41 तक की धाराओं में सुरक्षा सम्बन्धी प्रावधानों का विवरण दिया गया है। दिन-प्रतिदिन होने वाली दुर्घटनाएँ सुरक्षा सम्बन्धी प्रयत्नों की कमी की द्योतक है। निर्माणी के प्रत्येक मालिक का यह कर्त्तव्य है कि सुरक्षा सम्बन्धी प्रावधानों का उचित ढंग से पालन किया जाए। यदि मिल मालिक की किसी त्रुटि के कारण दुर्घटना होती है तो क्षतिपूर्ण का पूर्ण उत्तरदायित्व उनके ऊपर ही रहता है। सामान्य रूप से सुरक्षा सम्बन्धी प्रावधान इस प्रकार है

1. मशीनों की फेंसिंग (Fencing of Machinery)—फेंसिंग से अभिप्राय मशीन के चारों ओर बाड़ा अथवा कटघरा बनाना है जिससे दुर्घटना की सम्भावना कम-से-कम हो सके। धारा 21 के अनुसार, प्रमुख शक्ति चालक (Prime Mover) जल चक्र (Water wheel). गतिपालक चक्र (Fly wheel), खराद सम्बन्धी भाग (लेथ), विद्युत उत्पादक यन्त्र शक्ति प्रेषक यन्त्र (Transmission machinery) आदि के चारों ओर उचित फेंसिंग होनी चाहिए जिससे मशीनों के चलने से दुर्घटना की सम्भावना न रहे। सरकार को यह अधिकार है कि श्रमिकों की सुरक्षा को ध्यान से फेंसिंग सम्बन्धी आवश्यक नियम बना दे।

2. चालू मशीन पर या उसके निकट कार्य (Worker on or near Machinery in Motion)-धारा 22 के अनुसार, यदि किसी मशीन आदि की मरम्मत करने के लिए चाल मशीन या उसके निकट कार्य किया जाता है तो वहाँ ऐसे उपायों का आश्रय लेना चाहिए जिससे किसी भी श्रमिक को दुर्घटनापूर्ण क्षेत्र में जाने की सम्भावना न रहे। किसी भी बालक या स्त्री श्रमिक को चालू मशीन को साफ करने की आज्ञा नहीं दी जाएगी। राज्य सरकार को यह अधिकार है कि इस आशय का एक आदेश निर्गमित कर दे कि अमुक मशीन को चालू स्थिति में साफ नहीं किया जा सकेगा या उसमें तेल नहीं डाला जाएगा।

3. बालकों एवं स्त्री श्रमिकों के कार्य करने पर रोक (Prohibition of employment of women and young persons on dangerous machines) धारा 23 के अनुसार, किसी नवयुवक को ऐसी मशीन पर कार्य करने की अनुमति नहीं दी जाएगी जिसकी कार्यविधि खतरनाक हो और वह व्यक्ति उससे होने वाली दुर्घटनाओं से अनभिज्ञ हो, जबकि उस व्यक्ति को ऐसी मशीनों के संचालन की ट्रेनिंग न दी गई हो, किसी ऐस व्यक्ति के संरक्षण में कार्य कर रहा हो जो मशीन के सम्बन्ध में पूर्ण जानकारी रखता हो। राज्य सरकार किसी भी प्रकार की मशीन के विषय में इस प्रकार का निर्णय ले सकती है। धारा 27 के अनुसार, किसी भी स्त्री या बाल श्रमिक को दो कार्यरत मशीनों के मध्य में होकर गुजरने का काम नहीं देना चाहिए।

4. विद्युत शक्ति को बन्द करने की विधि (Devices for Cutting ou Power)-धारा 24 के अनुसार, यह प्रावधान कार्यशाला के उसी स्थान पर लागू होगा जह बिजली का प्रयोग शक्ति के रूप में होता हो। यदि मशीनें बिजली से चलाई जाती हों, उनका रोका जाना मानव शक्ति (Man-power) के परे की बात हो तब बिजली को बन्द कर का उचित एवं शीघ्र साधन होना चाहिए जिससे दुर्घटनाओं की समस्या न्यूनतम हो सके।

5. स्वचालित एवं घूमने वाली मशीनों का कार्यरत होना (Moving of Automatic and Revolving Machines) धारा 25 के अनुसार, स्वचालित मशीन को कार्य करने के स्थान से 18 इंच दूर रखा जाएगा। धारा 30 के अनुसार, घूमने वाली मशीन को ऐसे स्थान पर लगाया जाएगा जहाँ पर श्रमिक की अधिकतम सुरक्षा सम्भव हो सके।

6. नई मशीनों का लगाना (Casing of New Machinery) धारा 26 के अनुसार, यदि अप्रैल 1949 के बाद कोई नई मशीन लगायी जाती है तो यह देखना होगा कि उसका प्रत्येक बोल्ट भली-भाँति लगाया गया है, जिससे दुर्घटना की सम्भावना कम-से-कम हो। इसी प्रकार ऐसे मशीन के दाँत इत्यादि जिनको एक निश्चित दिशा (Fixed Position) में रखा जाता है उनकी उचित फेंसिंग कर दी जाए।

7. हॉइस्ट, लिफ्ट एवं क्रेन (Hoists, Lifts and Cranes)-धारा 28 के अनुसार, प्रत्येक हॉइस्ट (Hoist) और लिफ्ट (Lift) उचित प्रकार से बना होना चाहिए, अर्थात् यह मशीन बनाने की दृष्टि से ठीक हो, उसमें अच्छे सामान का प्रयोग किया गया हो। धारा 29 के अनुसार, क्रेन (Cranes) और लिफ्टिग यन्त्रों के सभी भाग भली-भाँति निर्मित किए जाने चाहिए, वर्ष में कम-से-कम एक बार यन्त्र विशेषज्ञ द्वारा उनकी जाँच की जानी चाहिए और उस पर निर्धारित निश्चित वजन के अतिरिक्त वजन नहीं लादा जाना चाहिए।

8. दबाव डालने वाले यन्त्रों का प्रयोग (Use of Pressure Plants)-धारा 31 के अनुसार, जिन निर्माणियों में दबाव डालने वाले यन्त्रों का प्रयोग किया जाता है वहाँ इस बात की सावधानी रखनी चाहिए कि दबाव सुरक्षित सीमा से अधिक न हो। राज्य सरकार तत्सम्बन्धी नियम बना सकती है और सुरक्षा के उपाय निश्चित कर सकती है।

9. उचित मार्ग एंव सीढीयाँ (Floors, Stairs and Means of Access)धारा 32 के अनुसार, सभी फर्श, सीढ़ियाँ और आने-जाने का मार्ग उचित ढंग से बना होगा। मार्ग में हाथ पकड़ने वाले (Hand drails) बनाए जाएंगे। जहाँ तक सम्भव होगा कार्य करने के स्थान तक जाने का उचित मार्ग होगा। धारा 33 के अनुसार, यदि फर्श के बीच कहीं ऐसे गड्ढे बनाए गए हों जिनमें सामान इत्यादि रखा जाता हो तो वह इस प्रकार होने चाहिए कि मार्ग में बाधक सिद्ध न हों।

10. अधिक बोझा (Excessive Weight)-धारा 34 के अनुसार, कोई व्यक्ति इतना अधिक बोझा नहीं उठाएगा जिससे उसके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़े। राज्य सरकार अपने प्रावधानों के द्वारा वयस्क व्यक्तियों, श्रमिकों तथा बाल श्रमिकों द्वारा अधिकतम बोझा ढोने की सीमा निर्धारित कर सकती है तथा उसके ढोने की विधि भी निर्धारित कर सकती है।

11. आँखों की सुरक्षा (Protection of Eyes)-धारा 35 के अनुसार, यदि निर्माण कार्य में श्रमिकों की आँखों को क्षति पहुँचने की सम्भावना हो या अधिक चकाचौंध के कारण जाख कमजोर होने की सम्भावना हो तो आँखों की सुरक्षा के लिए प्रभावशाली पर्दे और रंगीन चश्मे आदि का प्रबन्ध होना चाहिए।

12. खतरनाक धुआँ आदि से सुरक्षा (Precautions against Dangerous fumes)-धारा 36 के अनुसार, निर्माणी में श्रमिकों आदि की प्रविष्टि उस स्थान से वर्जित की जाए जहाँ चारों ओर से बन्द कमरे हों, गड्ढे हों अथवा चिमनी हो जिससे श्रमिकों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव न पड़े और उनके फेफड़े खराब न हों। ऐसे स्थानों पर 24 वोल्ट से अधिक बिजली का प्रकाश नहीं ले जाना चाहिए और यदि आग लगने की सम्भावना हो तो लैम्प आदि ले जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। धारा 37 के अनुसार, जहाँ भड़कने वाली आग लगने वाली गैस का प्रयोग होता हो वहाँ प्रत्येक ऐसी विधि का प्रयोग किया जाएगा जिससे गैस भड़कने या आग प्रज्वलित होने की सम्भावना न रहे।

13. आग न लगने के लिए सावधानियाँ (Precautions against Fire)निर्माणियों में अग्निकाण्ड की सम्भावना बनी रहती है जिससे जान और माल का खतरा बना रहता है। इस प्रकार की दुर्घटनाओं से बचने के लिए- (i) प्रत्येक निर्माणी में उन सभी आदेशों का क्रियात्मक रूप में पालन होना चाहिए जिससे अग्निकाण्ड की स्थिति में श्रमिकों का बचाव – सम्भव हो सके। (ii) निर्माणी में संकटकालीन स्थिति में जो बाहर जाने के लिए मार्ग उपयुक्त हों उनमें स्पष्ट रूप से लाल रंग से ‘Exit’ लिखा जाना चाहिए और इनमें ताले आदि का प्रयोग नहीं होना चाहिए या दरवाजे इतने अधिक कस कर नहीं लगाए जाने चाहिए कि वे आपत्ति के समय खुल न सकें, जहाँ तक सम्भव हो ये दरवाजे बाहर की ओर खुलने वाले होने चाहिए। (iii) खिड़की, दरवाजे और बाहर जाने वाले मार्ग के अतिरिक्त अन्य मार्ग जो बचने के लिए लाभप्रद हों उन्हें किसी ऐसे चिन्ह आदि द्वारा स्पष्ट किया जाएगा जिससे अधिकांश श्रमिक बचाव कर सकें। (iv) आग लगने की स्थिति में श्रमिकों को चेतावनी देने की दृष्टि से आसानी से सुनी जाने वाली ध्वनि का प्रयोग होना चाहिए। (v) प्रत्येक श्रमिक को कार्य करने के स्थान से भागने के लिए खुला मार्ग होना चाहिए। (vi) विशेषकर ऐसी निर्माणी में जहाँ 20 से अधिक व्यक्ति पहली मंजिल पर काम करते हों अथवा जहाँ विस्फोटक पदार्थ रखे जाते हों तो वहाँ अग्निकाण्ड की स्थिति में भागने की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए। (vii) प्रत्येक स्थान पर आग बुझाने वाले यन्त्रों की व्यवस्था होनी चाहिए। राज्य सरकार निर्माणी को इस प्रकार के विशिष्ट यन्त्रों के लिए आदेश प्रदान कर सकती है।

14. भवन तथा मशीन आदि से होने वाली हानि से सुरक्षा (Safety from Building and Machinery)-धारा 40 के अनुसार, यदि मुख्य निरीक्षक को इस बात का विश्वास हो जाता है कि भवन या भवन का कोई भाग, मशीन या मशीन का कोई भाग ऐसा स्थिति में है जो मनुष्यों की सुरक्षा और जिन्दगी के लिए खतरनाक हो सकता है तो वह मैनेजर पर इस आशय का एक नोटिस दे सकता है कि जब तक यह स्थिति रहे कार्य न किया जाए या उसकी मरम्मत आदि निर्धारित समय के अन्तर्गत कर दी जाए।15. अतिरिक्त नियम का प्रावधान (Power to make Rule)-धारा 41 क अनुसार, राज्य सरकार को इस अधिनियम के अन्तर्गत यह अधिकार है कि निर्माणी के विषय में स्वतन्त्र रूप से आवश्यक अतिरक्त नियमों का निर्माण कर सके।

16. कपास डालने के यन्त्रों के पास बच्चों की नियुक्ति पर प्रतिबन्ध – धारा 27 के अनसार, कारखाने के किसी भी ऐसे भाग में जहाँ कपास डालने का यन्त्र चल रहा हो, किसी भी स्त्री अथवा बालक को रुई दबाने (Cotton Pressing) के कार्य के लिए नियुक्त नहीं किया जा सकता।

17. वजन उठाने वाले यन्त्र (Lifting Machinery)-धारा 29 के अनुसार, कारखाने में क्रेन तथा अन्य उत्पादक मशीनें अच्छी तरह बनी हुई, पर्याप्त शक्तिशाली तथा पूर्णरूपेण दोष रहित होनी चाहिए तथा वर्ष में एक बार योग्य व्यक्ति द्वारा उनकी जाँच करा लेनी चाहिए।

18. घूमता हुआ यन्त्र (Revolving Machinery)-धारा 30 के अनुसार, ऐसे किसी कारखाने के प्रत्येक कमरे में जिसमें पीसने का कार्य किया जाता है उसके बारे में यह सूचना होनी चाहिए कि अधिकतम गति सीमा क्या होगी।

19. गड्ढे, हौज, फर्श का सूराख आदि (Pits, Sumps Opening in Floors etc.)-धारा 33 के अनुसार, प्रत्येक कारखाने में प्रत्येक स्थायी बर्तन (Vessel), हौज (Sumps), तालाब (Tank), गड्ढा (Pits) अथवा फर्श का सूराख (Opening in Floors) जो गहराई, बनावट तथा स्थिति के कारण खतरे का कारण बना हुआ है, सुरक्षित रूप से ढका होना चाहिए या उसकी पूर्ण घेराबन्दी होनी चाहिए। राज्य सरकार इस सम्बन्ध में कोई भी नियम बना सकती है।

20. आग लगने की स्थिति में बचाव (Precaution in case of Fire)धारा 38 के अनुसार, प्रत्येक कारखाने में आग लगने पर बचाव की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।

21. दोषपूर्ण भागों की जाँच का अधिकार (Power to Examine Specifications of Defective Parts or Tests of Stability)-धारा 39 के अनुसार, यदि निरीक्षक को ऐसा अनुमान है कि कोई भवन या उसका कोई भाग या मार्ग मानव जीवन या सुरक्षा के लिए उचित नहीं है तो वह आदेश दे सकता है कि असुरक्षा हटायी जाए।

प्रश्न 3 – कारखाना अधिनियम के उन प्रावधानों की विवेचना कीजिए जो श्रमिकों के स्वास्थ्य के सम्बन्ध में हैं।

Discuss the provisions of the Factories Act regarding the health of workers.

उत्तर – इस अधिनियम की 11 से 18 तक की धाराओं में स्वास्थ्य सम्बन्धी नियम बनाए गए हैं। इस अधिनियम में इस बात पर ध्यान रखा गया है कि निर्माणी में स्वच्छता का होना श्रमिक की एक आधारभूत आवश्यकता है, और उद्योगपतियों को इस ओर सजग रखने के लिए स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्य-कलापों को उनकी दया पर न छोड़कर उन्हें कानून द्वारा विवश कर दिया गया है। प्रमुख रूप में स्वास्थ्य सम्बन्धी धाराएँ अग्रलिखित है-

1. स्वच्छता का प्रबन्ध (Arrangement for Cleanliness)-प्रत्येक निर्माणी में स्वच्छता का पूर्ण ध्यान रखा जाना चाहिए, जिससे एक ओर श्रमिकों का स्वास्थ्य ठीक रह सके तथा दूसरी ओर दुर्घटना को कम-से-कम किया जा सके। धारा 11 के अनुसार, (i) प्रतिदिन धूल और गन्दगी की सफाई की जाए तथा श्रमिकों के कार्य करने के स्थानों, फर्श, सीढ़ियों (Stairs cases) तथा निकलने के रास्ते (Passages) से गन्दगी प्रतिदिन साफ कर दी जाए और किसी उचित विधि द्वारा गन्दगी को एक स्थान पर एकत्रित कर दिया जाए, (ii) कार्यशाला के फर्श को कम-से-कम एक सप्ताह में एक बार धोकर साफ किया जाए और जहाँ आवश्यक हो दुर्गन्धनाशक पदार्थ छिड़के जाएँ, (iii) जहाँ उत्पादन की विधि के कारण फर्शों के भीग जाने की सम्भावना हो वहाँ नालियों की उचित व्यवस्था होनी वाहिए, (iv) निर्माणी की भीतरी दीवारों, छतों (Ceiling) आदि पर यदि वार्निश या पेण्ट हो तो उसे कम-से-कम 14 माह में एक बार धोया जाए, 5 वर्ष की अवधि में कम-से-कम एक बार पेण्ट या वार्निश की जाए, यदि केवल सफेदी या रंग हो रहा हो तो 14 माह में कम-से-कम एक बार रंग या सफेदी करायी जाए।

2. निरर्थक एवं बहने वाली सामग्री की निकासी (Disposal of Wastes and Effluents)-धारा 12 के अनुसार, निरर्थक एवं बहने वाली सामग्री की निकासी का उचित प्रबन्ध होना चाहिए। प्रान्तीय सरकार को यह अधिकार है कि इस प्रकार की व्यवस्था के लिए उचित विधि निर्धारित कर दे।

3. वायु संचार एवं समुचित तापमान (Ventilation and Temperature)धारा 13 के अनुसार कार्यशाला तथा अन्य कार्य करने के स्थानों में इस प्रकार का प्रावधान होना चाहिए कि ताजी हवा का संचार बना रहे जिससे कि श्रमिकों को सुविधा रहे और उनके स्वास्थ्य को किसी भी प्रकार की हानि न पहुँचे। निर्माणी के अन्दर धारा 13 (2) के अनुसार समुचित तापमान की व्यवस्था होनी चाहिए। राज्य सरकारों को यह अधिकार है कि निर्माणी में वायु संचार एवं समुचित तापमान को निर्धारित करने के सम्बन्ध में विशिष्ट आदेश जारी कर दें।

4. धूल और धुएँ की निकासी (Disposal of Dust and Fume)-धारा 14 के अनुसार, यदि कार्य-विधि के कारण धुआँ और धूल अधिक मात्रा में होती है तो वहाँ उसकी निकासी का उचित प्रबन्ध करना चाहिए जिससे श्रमिकों के स्वास्थ्य को हानि न पहुँचे। यदि निर्माण विधि के अर्न्तगत विषैले तत्त्वों का मिश्रण होता है तो श्रमिकों के स्वास्थ्य की दृष्टि से उन तत्त्वों से सावधानीपूर्वक बाहर कर देना चाहिए।5. कृत्रिम वायु की स्वच्छता (Artificial Humidity)-कृत्रिम आद्रता (Humidity) का प्रयोग मुख्यत: सूती वस्त्र उद्योगों में किया जाता है। धारा 15 के अनुसार आर्द्रता के लिए उपयोग में लाया जाने वाला जल स्वच्छ होना चाहिए। इसके लिए राज्य सरकार आर्द्रता सम्बन्धी स्तर निर्धारित कर सकती है।

6. भीड़ से बचाव (Safety from Over-crowding)-धारा 16 के अनुसार, किसी भी निर्माणी में इतनी भीड़ नहीं होगी जो श्रमिकों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक रहे। भीड़ से बचाव करने की दृष्टि से यह प्रावधान किया गया है कि यदि निर्माणी की स्थापना अप्रैल 1949 से पूर्व की है तो प्रत्येक श्रमिक के लिए कम-से-कम 360 घन फुट स्थान की व्यवस्था हो और इसके विपरीत, यदि निर्माणी की स्थापना अप्रैल 1949 के उपरान्त की गई है तो प्रत्येक श्रमिक के लिए कम-से-कम 500 घन फुट के स्थान की व्यवस्था की जानी चाहिए।

7. प्रकाश की व्यवस्था (Arrangement for Lighting) धारा 17 के अनुसार, निर्माणी के प्रत्येक भाग में जहाँ श्रमिक कार्य करते हों अथवा जहाँ उनका आना-जाना हो वहाँ समुचित प्रकाश की व्यवस्था होनी चाहिए। समुचित प्रकाश से अभिप्राय कम-से-कम इतने प्रकाश से है जिससे श्रमिकों की आँखों पर बुरा प्रभाव न पड़े तथा दुर्घटना की सम्भावना भी न रहे।

8. पीने योग्य जल की व्यवस्था (Arrangement for Drinking Water)धारा 18 के अनुसार निर्माणी में श्रमिकों के लिए पीने के स्वच्छ जल का उचित प्रबन्ध होना चाहिए। ऐसा जल गन्दगी से रहित तथा गन्दे स्थान से दूर भी होना चाहिए।

9. शौचालयों एवं मूत्रालयों की व्यवस्था (Arrangement for Latrines and Urinals) प्रत्येक निर्माणी में धारा 19 के अनुसार स्त्री पुरुषों के लिए पृथक्-पृथक् रूप से समुचित मात्रा में शौचालयों और मूत्रालयों की व्यवस्था होनी चाहिए तथा इनकी निरन्तर सफाई की भी उचित व्यवस्था होनी चाहिए। __ 

10. थूकने के पीपों की व्यवस्था (Arrangement for Spitoons) धारा 20 के अनुसार, निर्माणी के अन्तर्गत यथास्थान थूकने के पीपों की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। यदि कोई श्रमिक अन्य स्थान पर थूकता हुआ पाया जाता है तो उसको दण्डित किए जाने के सम्बन्ध में भी प्रावधान है।


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