Brand and Trademark B.Com Notes – Principles Of Marketing Study Notes
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ब्राण्ड का अर्थ एवं परिभाषाएँ
(Meaning and Definitions of Brand)
उत्पादकों अथवा निर्माताओं द्वारा अपने उत्पाद की पहचान के लिए जिस व्यापारिक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है, वह ब्राण्ड कहलाता है। ब्राण्ड के अन्तर्गत उत्पाद का नाम अथवा उसकी पहचान कराने वाला कोई शब्द, अक्षर, प्रतीक, डिजाइन, चिन्ह आदि सम्मिलित किये जाते हैं। ब्राण्ड के अन्तर्गत ऐसे सभी संकेत, प्रतीक अथवा चिन्ह आते हैं जिनसे किसी विशिष्ट उत्पादक अथवा निर्माता के उत्पाद तथा अन्य प्रतिस्पर्धी उत्पादों में भेद किया जा सके। ब्राण्ड की कुछ प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित है
- अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन (American Marketing Association) के अनुसार, “ब्राण्ड एक नाम, चिन्ह या डिजाइन अथवा इन सबका एक सम्मिश्रण है जिसका उद्देश्य एक विक्रेता या एक समूह के विक्रेताओं के माल या सेवाओं को पहचानना है और प्रतियोगियों के माल या सेवाओं से भेद करना है।” __
- स्टेण्टन (Stanton) के अनुसार, “सभी ट्रेडमार्क ब्राण्ड हैं और इस प्रकार इसमें वे शब्द, लेख या अंक शामिल हैं जिनका उच्चारण हो सकता है। इसमें तस्वीर की डिजाइन भी शामिल है।”
- लिप्सन एवं डारलिंग के अनुसार, “एक ब्राण्ड नाम अपने में उन शब्दों, अक्षरों अथवा अंकों को सम्मिलित करता है जो कि उच्चारण योग्य होते हैं।”
ट्रेडमार्क (Trademark)
जब किसी ब्राण्ड का सरकार से पंजीयन करा लिया जाता है तो वह ट्रेडमार्क बन जाता है जैसे-ए०सी०सी० सीमेण्ट, बच्चे के हाथ में ब्रुश लिये हुए एशियन छाप पेण्ट्स। कभी-कभी ट्रेडमार्क ब्राण्ड को एक विशिष्ट ढंग से लिखने से भी बन जाते हैं, जैसे-कोका कोला। भारत में ट्रेडमार्क के पंजीयन के लिये इण्डियन ट्रेडमार्क एक्ट 1940 है। ट्रेडमार्क की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन के अनुसार, “ट्रेडमार्क एक ऐसा ब्राण्ड है जिसे वैधानिक संरक्षण प्रदान किया जाता है, क्योंकि कानून के अन्तर्गत केवल एक विक्रेता ही उसका प्रयोग कर सकता है।” आर० एस० डावर के अनुसार, “ट्रेडमार्क शब्द को सामान्यत: ब्राण्ड के स्थान पर उस समय प्रयुक्त किया जाता है जबकि ब्राण्ड का पंजीयन कराना होता है और वैधानिक कार्यवाही की आवश्यकता होती है।” निष्कर्ष-“ट्रेडमार्क किसी उत्पाद की पहचान कराने वाला ब्राण्ड है जिसका पंजीयन कराना आवश्यक होता है।” भारत में ट्रेडमार्क के रजिस्ट्रेशन के लिए ट्रेड एण्ड मर्केण्डाइज मार्क अधिनियम,1958 का गठन किया गया।
ट्रेडमार्क तथा ब्राण्ड में अन्तर
Distinction Between Trademark and Brand)
एक अच्छे ब्राण्ड की विशेषताएँ
(Characteristics of a Good Brand)
- साधारण तथा सूक्ष्म (Simple and Short)-ब्राण्ड साधारण होना चाहिए तथा साथ में सूक्ष्म भी। सूक्ष्म से आशय है कि ब्राण्ड का नाम छोटा होना चाहिए जिसे सरलता से याद रखा जा सके।
- सरल उच्चारण (Easy Pronunciation)-ब्राण्ड का नाम इस प्रकार का होना चाहिए जिसको बच्चे, बूढ़े, जवान, पढ़े, अनपढ़ आदि सभी बोल सकें और सरलता से सही उच्चारण कर सकें, जैसे-‘बाटा’, ‘टाटा’, ‘भारत’, ‘ताज’, ‘हिमालय’, ‘हनुमान’, ‘ऊषा’, ‘नेशनल’, ‘पारले’, ‘मरफी’, ‘किसान’ आदि।
- स्मरणीय (Memorable)-ब्राण्ड का नाम ऐसा होना चाहिए जिसे आसानी से याद रखा जा सके। ____
- पहचानने योग्य (Recognizable) ब्राण्ड का नाम ऐसा होना चाहिए जिसे सरलता से पहचाना जा सके। _
- आकर्षक (Attractive)-ब्राण्ड का नाम आकर्षक होना चाहिए जो सुनने एवं बोलने में मधुर लगे तथा साथ ही उसमें आकर्षण का भी गुण हो, जैसे-‘कश्मीर’, ‘ताजमहल’, ‘अजन्ता’, ‘हिमालय’,
- समयानुकूल (Timely) ब्राण्ड का नाम समयानुकूल होना चाहिए। देखा गया है कि समय व्यतीत हो जाने के पश्चात पुराने ब्राण्ड अप्रचलित हो जाते हैं। अतएव ब्राण्ड समय-समय पर बदला जाना चाहिए। एक अच्छा ब्राण्ड वही है जो समयानुकूल हो।
- अश्लीलता रहित (Lack of Obscence)-ब्राण्ड में तो अश्लीलता किंचित मात्र भी नहीं होनी चाहिए। यह सामाजिक तथा धार्मिक भावनाओं के अनुकूल होना चाहिए।
- मितव्ययिता (Economical)-एक अच्छे ब्राण्ड में मितव्ययितां का गुण होना चाहिए अर्थात् उसे पैकेज पर छपवाने या उसके विपणन पर अधिक व्यय नहीं होना चाहिए।
- विशिष्ट (Specific) ब्राण्ड का नाम विशिष्ट होना चाहिए और अन्य ब्राण्ड से भिन्न होना चाहिए।
- पंजीकरण योग्य (Registerable) ब्राण्ड ऐसा हो जिसका पंजीयन Trade & Merchandise Marks Act, 1958 के अन्तर्गत कराया जा सके। ब्राण्ड का नाम किसी विद्यमान राजस्टर्ड ब्राण्ड के नाम से अथवा उससे मिलता-जुलता अथवा सरकार द्वारा प्रतिबंधित नहीं होना चाहिए। ___
- सुझावात्मक (Suggestive) ब्राण्ड का नाम सुझावात्मक होना चाहिए जिससे कि ग्राहकों पर उसका अच्छा प्रभाव पड़े।
ब्राण्ड नीतियाँ
(Brand Policies)
विपणनकर्ता को यह निर्णय लेना पड़ता है कि वह एक ब्राण्ड नाम के अधीन बहुत से उत्पाद । अथवा एक ही उत्पाद को विभिन्न ब्राण्ड नामों से बेचे। विपणनकर्ता द्वारा विभिन्न ब्राण्ड-नाम नीतियाँ अपनाई जाती हैं जो अग्र प्रकार हैं-
- निर्माता ब्राण्ड – यह ब्राण्ड नाम निर्माता द्वारा विकसित किया जाता है। सोनी, पैनासोर एच०सी०एल० आदि निर्माता के ब्राण्ड हैं। जब निर्माता ब्राण्ड राष्ट्रीय स्तर पर प्रयोग किया जाता इसे राष्ट्रीय ब्राण्ड कहते हैं जबकि एक विशेष क्षेत्र में प्रयुक्त ब्राण्ड क्षेत्रीय ब्राण्ड कहलाता है। विल ब्राण्डों में ब्राण्ड चिन्हों पर जोर दिया जाता है।
- वितरकों के बाण्ड-जब थोक व्यापारियों अथवा वितरकों द्वारा निजी ब्राण्ड विकसित जाता है तो इसे वितरक ब्राण्ड कहत हैं। वितरकों के ब्राण्ड के प्रकार हैं-निजी ब्राण्ड, स्टोर न डीलर ब्राण्ड, गृह ब्राण्ड आदि। ___
- व्यक्तिगत बाण्ड नाम-इसमें प्रत्येक उत्पाद का अपना विशिष्ट ब्राण्ड नाम रहता है। इस संवर्द्धन लागत अधिक रहती है जैसे सर्फ, व्हील कपड़े धोने का पाउडर, डालडा आदि।
- पारिवारिक ब्राण्ड-इसमें कम्पनी एक वर्ग की सभी वस्तुओं के लिये एक ही ब्राण्ड । प्रयोग करती है। यह कम खर्चीला तरीका है। पारिवारिक ब्राण्ड नामों के उदाहरण हैं-शरबतों अगर और चटनी के लिये ‘किसान’, ‘अमूल’ के उत्पाद जैसे-दूध, चाकलेट तथा प्रसाधन सामग्री के लि1 ‘लैक्मे’ आदि।
- अम्ब्रेला बाण्ड (Umbrella Brand)-इसमें कम्पनी के सभी उत्पादों को एक ही नाम प्रचारित किया जाता है। गोदरेज, टाटा, हिन्दुस्तान लीवर इसके उदाहरण हैं।
- बहु बाण्ड विधि-इसमें एक ही उत्पाद की विभिन्न किस्मों के लिये विभिन्न ब्राण्डों क 1 प्रयोग किया जाता है। प्राय: वस्तु की किस्मों में विशेष अन्तर नहीं होता।
- लड़ाकू बाण्ड-जब बाजार में तीव्र प्रतिस्पर्धा विद्यमान हो तो निर्माता अपने मूल ब्राण्ड को प्रतिष्ठा को बचाए रखने की दृष्टि से कम मूल्य की वस्तु तैयार करके नए ब्राण्ड नाम से बाजार में 1 उतार देते हैं। इसे लड़ाकू ब्राण्ड कहते हैं।
8. प्रतिस्पर्धी ब्राण्ड-जब विभिन्न प्रकार के निर्माताओं द्वारा उत्पादित वस्तुओं में गुण, मूल्य, आकार-प्रकार आदि में कोई विशेष अन्तर नहीं होता तो ऐसी वस्तुओं के ब्राण्ड प्रतिस्पर्धी ब्राण्ड 1 कहलाते हैं जैसे-कपड़े धोने का डिटर्जेन्ट पाउडर-सर्फ, व्हील, टाइड, निरमा, मैजिक, घड़ी, एरियल आदि।
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