Management Audit B.Com 3rd Year Study Material Notes
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प्रबन्ध अंकेक्षण
(Management Audit)
प्रबन्ध अंकेक्षण का अर्थ एवं परिभाषा
(Meaning and Definition of Management Audit)
प्रबन्ध अंकेक्षण एक नवीन विचारधारा है। यह परम्परागत अंकेक्षण से भिन्न है। प्रबन्ध अंकेक्षण के अन्तर्गत किसी व्यावसायिक उपक्रम की प्रबन्ध सम्बन्धी विभिन्न क्रियाओं व तकनीकों की सफलता का किया जाता है। दूसरे शब्दों में, प्रबन्ध द्वारा निर्मित योजनाओं, नीतियों, कार्यक्रमों व कार्यविधियों क्षण ही ‘प्रबन्ध अंकेक्षण’ कहलाता है। इसके अन्तर्गत यह जाँच की जाती है कि संस्था के पास विभिन्न साधनों का सर्वोत्तम प्रयोग हो रहा है या नहीं। दूसरे शब्दों में संगठन के उच्च रिया के कार्यों की जाँच ही प्रबन्ध अंकेक्षण है। जिस प्रकार प्रबन्ध द्वारा प्रयोग किये जाने वाले का प्रबन्धकीय लेखांकन’ कहा जाता है, उसी प्रकार प्रबन्ध के दृष्किोण से किये गये अंकेक्षण अकक्षण’ कह सकते हैं। प्रबन्ध अंकेक्षण प्रबन्धकीय नियन्त्रण का एक उपकरण है। प्रबन्ध अंकेक्षण का प्रयोग सर्वप्रथम संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ। प्रबन्ध अंकेक्षण को प्रबन्ध निष्पत्ति का मूल्यांकन (Appraisal of Management Function भी कहते हैं क्योंकि इसके अन्तर्गत प्रबन्धकों द्वारा किये गये कार्यों का मूल्यांकन किया जाता है। व प्रबन्ध अंकेक्षण का सम्बन्ध प्रबन्ध की कुशलता के मूल्यांकन से है। कुछ विद्वानों ने ‘नि अंकेक्षण’ तथा ‘प्रबन्ध अंकेक्षण’ को पर्यायवाची बतलाया है। प्रबन्ध अंकेक्षण की मख्या निम्नलिखित हैं –- प्रबन्ध अंकेक्षण का मुख्य सम्बन्ध प्रबन्ध की नीतियों तथा कार्यों का मूल्यांकन करना है।
- प्रबन्ध अंकेक्षक एक निश्चित अवधि के लिए प्रबन्ध के कार्यों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करता है तथा कमियों को दूर करने के लिए आवश्यक सुझाव देता है।
- प्रबन्ध अंकेक्षण का सम्बन्ध प्रबन्ध के कार्यों को अधिक कुशल तथा प्रभावी बनाने से है।
- प्रबन्ध अंकेक्षण प्रत्येक वर्ष नहीं कराया जाता है।
- प्रबन्ध अंकेक्षण के सम्बन्ध में ऐसी कोई अनिवार्यता नहीं है।
- प्रबन्ध अंकेक्षण की रिपोर्ट प्रबन्ध को प्रस्तुत की जाती है।
- प्रबन्ध अंकेक्षण कार्य को करने के लिए कोई अनिवार्य योग्यता नहीं है। नियोक्ता जिसे योग्य समझे उससे प्रबन्ध अंकेक्षण का कार्य करा सकता है।
प्रबन्ध अंकेक्षण के उद्देश्य
(Objects of Management Audit)
प्रबन्ध अंकेक्षण के मुख्य उद्देश्य निम्नांकित हैं-- प्रबन्ध की संचालन सम्बन्धी कमियों को ढूँढ़ना तथा संचालन में सुधार हेतु सुझाव देना।
- व्यवसाय के सफल संचालन के लिए कुशल प्रशासन सुनिश्चित करना।
- प्रबन्ध की कार्यक्षमता को प्रभावशाली बनाना।
- प्रबन्ध द्वारा निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए बहुमूल्य सुझाव देना एवं पथ-प्रदर्शन करना।
- प्रबन्ध के सभी स्तरों पर उनके कर्त्तव्य एवं उत्तरदायित्वों के निष्पादन में सहायता करना।
- बाहरी व्यक्तियों के साथ प्रभावपूर्ण सम्बन्ध स्थापित करने में सहायक होना।
- प्रबन्ध को संस्था के कर्मचारियों के साथ अच्छे सम्बन्ध की स्थापना में मदद करना।
- निवेश (Input) एवं उत्पादन (Output) की तुलना कर निष्पादन क्षमता का मूल्यांकन करने में सहायक होना।
प्रबन्ध अंकेक्षण का क्षेत्र (Scope of Management Audit)
प्रबन्ध अंकेक्षण का क्षेत्र प्रबन्धकों की आवश्यकतानुसार विस्तृत अथवा संकुचित हो सकता है। इसके अन्तर्गत समस्त व्यवसाय की समीक्षा की जा सकती है अथवा उसके किसी विभाग या उसके किसी विशिष्ट कार्य की जाँच की जा सकती है। प्रबन्ध अंकेक्षण के अन्तर्गत जिन विशिष्ट क्षेत्रों की जाँच की जा सकती है, उनमें से कुछ महत्वपूर्ण निम्नलिखित हैं-- उद्देश्यों का मूल्यांकन (Appraisal of Objectives);
- नियोजन का मूल्यांकन (Appraisal of Planning);
- प्रबन्धकीय नियन्त्रण प्रणाली की समीक्षा (Review of Management Control System);
- निर्माणी प्रक्रियाओं की समीक्षा (Review of Manufacturing Operations);
- कुशलता अंकेक्षण (Efficiency Audit),
- निष्पत्ति अंकेक्षण (Performance Audit)
प्रबन्ध अंकेक्षण रिपोर्ट
(Management Audit Report)
प्रबन्ध अंकेक्षक अपना प्रतिवेदन उच्चस्तरीय प्रबन्ध को सुपुर्द करता है। प्रबन्ध अंकेक्षक की रिपोर्ट स्पष्ट, सरल, गहन एवं सही होनी चाहिए अर्थात् वह जो भी रिपोर्ट देता है, उसमें लिखे गये तथ्य सूचना और उसके विश्लेषण पर आधारित होने चाहिए। यदि यह रिपोर्ट आलोचनात्मक है, तब भी प्रबन्ध को सही परिप्रेक्ष्य में अधिक गतिशील बनाने में सहायक होनी चाहिए। इस रिपोर्ट में किसी अनावश्यक पहलू पर जोर नहीं दिया जाना चाहिए। रिपोर्ट की आलोचना को प्रबन्ध सही भावना से ग्रहण करे और तद्नुरूप उचित कार्यवाही करने में सक्षम हो सके, इस भावना से रिपोर्ट लिखी जानी चाहिए। प्रबन्ध अंकेक्षक को अपनी रिपोर्ट में निम्नलिखित मुद्दों को सम्मिलित करना चाहिए :- अंशधारियों के विनियोगों पर होने वाले प्रत्याय (return) की चालू वर्ष से विगत वर्षों की तुलना।
- क्या उनके विनियोगों पर प्रत्याय कम है, पर्याप्त है अथवा औसत से ऊपर है?
- व्यवसाय की चालू लागत की इसी स्वभाव वाले अन्य उपक्रमों की लागत से तुलना।
- क्या प्लांट एवं मशीन अधिकतम उत्पादन देने में पूर्ण सक्षम है।
- क्या प्रबन्ध एवं श्रम के सम्बन्ध मधुर चल रहे हैं?
- क्या संस्था का भविष्य उज्जवल है तथा यह गतिशीलता की ओर अग्रसर है।
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