विद्यालय प्रशासन तथा पर्यवेक्षण के प्रति अभिरुचि

विद्यालय प्रशासन तथा पर्यवेक्षण के प्रति अभिरुचि :-
B.Com Notes Books PDF English Hindi Download 1st 2nd 3rd Year
विद्यालय प्रशासन और पर्यवेक्षण के प्रति अभिरुचि का मतलब है शिक्षा संस्थानों के प्रबंधन और निरीक्षण में रुचि और लगन दिखाना। इसमें विद्यालय के दैनिक कार्यों, पाठ्यक्रम, शिक्षक और छात्र संबंधी गतिविधियों का व्यवस्थित प्रबंधन शामिल होता है। अभिरुचि से तात्पर्य है कि प्रशासनिक और पर्यवेक्षकीय कार्यों को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयास और सुधार की दिशा में काम करना। इससे विद्यालय की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार होता है और एक सकारात्मक वातावरण सुनिश्चित होता है।
विद्यालय प्रशासन और पर्यवेक्षण के प्रति अभिरुचि विद्यालय प्रशासन और पर्यवेक्षण शिक्षा प्रणाली के महत्वपूर्ण स्तंभ होते हैं। ये न केवल शिक्षा के गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं, बल्कि विद्यालय के समग्र वातावरण को भी सुदृढ़ करते हैं। अभिरुचि का मतलब होता है किसी विषय या क्षेत्र के प्रति गहरी दिलचस्पी और लगन, और विद्यालय प्रशासन तथा पर्यवेक्षण के क्षेत्र में यह अभिरुचि अत्यंत महत्वपूर्ण है।
1. विद्यालय प्रशासन: विद्यालय प्रशासन का मुख्य उद्देश्य विद्यालय के सुचारू और प्रभावी संचालन को सुनिश्चित करना होता है। इसमें छात्र, शिक्षक, और कर्मचारियों के कार्यों का समन्वय, संसाधनों का प्रबंधन, और नीतियों का अनुपालन शामिल होता है। एक सक्षम विद्यालय प्रशासन को निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए:
- नीतियों का निर्माण और कार्यान्वयन: विद्यालय की नीतियाँ और नियम ऐसे होने चाहिए कि वे सभी की भलाई के लिए हों और शिक्षा के मानकों को पूरा करें।
- संसाधन प्रबंधन: विद्यालय के संसाधनों जैसे कि किताबें, प्रौद्योगिकी, और वित्तीय संसाधनों का उचित उपयोग सुनिश्चित करना।
- व्यक्तिगत विकास: शिक्षकों और कर्मचारियों के पेशेवर विकास और प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।
2. पर्यवेक्षण: पर्यवेक्षण का मुख्य उद्देश्य विद्यालय के कामकाज की निगरानी और सुधार है। यह शिक्षक की कक्षाओं, छात्र गतिविधियों, और अन्य विद्यालयीय कार्यों की नियमित जाँच शामिल करता है। प्रभावी पर्यवेक्षण के निम्नलिखित तत्व होते हैं:
- कक्षा का अवलोकन: कक्षा में शिक्षण विधियों, शिक्षक की तैयारी, और छात्र सहभागिता की निगरानी करना।
- फीडबैक और मूल्यांकन: शिक्षक और छात्र के प्रदर्शन की मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करना और सुधार के लिए सुझाव देना।
- समस्या समाधान: यदि कोई समस्या उत्पन्न होती है, तो उसका समाधान ढूँढना और संबंधित पक्षों के साथ मिलकर कार्य करना।
3. अभिरुचि का महत्व: विद्यालय प्रशासन और पर्यवेक्षण में अभिरुचि दिखाने से कई लाभ होते हैं:
- प्रेरणा और उत्साह: जब प्रशासन और पर्यवेक्षक अपने काम के प्रति उत्साही होते हैं, तो वे अन्य स्टाफ और छात्रों को भी प्रेरित करते हैं।
- समस्या समाधान में तत्परता: ऐसे पेशेवर जल्दी और प्रभावी ढंग से समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।
- शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार: निरंतर निरीक्षण और सुधार के प्रयासों से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होता है।
4. निष्कर्ष: विद्यालय प्रशासन और पर्यवेक्षण के प्रति अभिरुचि दिखाना शिक्षा प्रणाली के विकास और सुधार के लिए आवश्यक है। जब प्रशासनिक और पर्यवेक्षकीय कार्यों को समर्पण और लगन के साथ किया जाता है, तो इससे न केवल विद्यालय का वातावरण सकारात्मक बनता है बल्कि छात्रों की शिक्षा गुणवत्ता भी बेहतर होती है। इस प्रकार, विद्यालय प्रशासन और पर्यवेक्षण के प्रति गहरी अभिरुचि रखने वाले व्यक्तियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, और उनके प्रयासों से शिक्षा प्रणाली को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया जा सकता है।
- एक उत्तम पर्यवेक्षक निम्नलिखित कार्य नहीं करेगा-
(a) वह अपनी पर्यवेक्षण कुशलताओं के स्वतन्त्र मूल्यांकन के लिए शिक्षकों का सहारा ले
(b) वह यह स्वीकरोक्ति करे कि कुछ शिक्षक उससे अधिक उत्तम शिक्षण कार्य कर सकते हैं
(c) नवीन विधियों के सन्दर्भ में अपने दृष्टिकोण को परिवर्तित कर दे
(d) बह अपने सभी सहयोगी शिक्षकों से किसी एक उत्तम शिक्षण विधि के प्रयोग की प्रत्याशा प्रकट करे
- प्रायः प्रशासक श्रेष्ठ कक्षाध्यापकों को शिक्षण के साथ-साथ विद्यालय निरीक्षण का कार्य सौंप देते हैं। यह प्रक्रिया जिस तथ्य को नकारती है, वह है-
(a) यदि अधिकाधिक श्रेष्ठ शिक्षकों को यह कार्य सौंप देंगे तो कक्षाध्यापन शिथिल हो जाएगा
(b) शिक्षण, पर्यवेक्षण से अधिक महत्वपूर्ण कार्य है
(c) पर्यवेक्षण के लिए पृथक् गुणों की आवश्यकता होती है
(d) पर्यवेक्षण स्वयं एक ऐसी स्थिति हैं जिसमें प्रशिक्षण एवं पूर्व अनुभव लाभ प्रदान नहीं करते हैं
- निम्नलिखित में से कौन-सा कर्तव्य विद्यालय अधीक्षक का नहीं है?
(a) स्थानीय विद्यालय नीतियों को निश्चित करना
(b) परिषद् के संगठन में सहायता करना
(c) नियमों एवं नियंत्रणों की संस्तुति करना
(d) विद्यालय परिषद् की विभिन्न मीटिगों की अध्यक्षता करना
- एक प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य की प्रशासन क्षमता पर निम्नलिखित में से किसका प्रभाव पड़ता है?
(a) बाल-मनोविज्ञान सम्बन्धी विधियों का ज्ञान
(b) शिक्षण विधियों सम्बन्धी ज्ञान
(c) विद्यालय प्रशासन सम्बन्धी मूलभूत सिद्धान्तों का ज्ञान
(d) कार्मिक मनोविज्ञान का उचित ज्ञान
- निम्नलिखित में से प्रभावी पर्यवेक्षण की प्रामाणिक स्थिति को कौन-सा कथन प्रकट करता है?
(a) वह सीमा जहाँ तक पर्यवेक्षक शिक्षकों की समस्याओं का समाधान करता है
(b) शिक्षक की जिस सीमा तक उन्नति सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है
(c) शिक्षक एवं पर्यवेक्षक के मध्य स्थापित मधुर सम्बन्ध
(d) वह स्थिति जिसके अन्तर्गत पर्यवेक्षक समस्याओं की पहचान करते हैं तथा उनका उपचार करते हैं
- छात्रों के योग्यता समूहों के निर्माण के सम्बन्ध में उचित मत प्रतीत होता है-
(a) यह व्यक्तिगत नेतृत्व तथा कार्य करने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करता है
(b) यह व्यक्तिगत विभेद की समस्या का समाधान करता है
(c) यह छात्रों को अधिकाधिक क्षमताओं के प्रयोग के अवसर प्रदान करता है
(d) यह विद्यालय में एक प्रकार का वर्ग-विभेद उत्पन्न करता है
- विद्यालय संगठन की उत्कृष्ट पहचान का चिह्न है-
(a) शिक्षण हेतु शिक्षकों की तैयारी
(b) विद्यालय तंत्र का आकार
(c) समुदाय का आकार
(d) विद्यालय में प्रयोग की जाने वाली पाठ्यपुस्तकों की संख्या
- प्रधानाचार्य का प्रमुख उत्तरदायित्व है-
(a) माता-पिता की आलोचना को सुनना
(b) शिक्षण योजना को नेतृत्व प्रदान करना
(c) निर्देशन योजना का प्रशासन एवं संगठन करना
(d) विद्यालय अभिलेखों को तैयार करना
- प्राथमिक शिक्षा का सर्वाधिक हित-लाभ निम्नलिखित में से किसमें निहित है?
(a) शिक्षक सुधार
(b) प्राथमिक पाठ्यक्रम की पुनरावृत्ति
(c) छात्र सुधार
(d) समाजोपयोगी शिक्षा
- पर्यवेक्षक एवं शिक्षक के मध्य मीटिंग का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए-
(a) विद्यालय की प्रगति के सन्दर्भ में उपयोगी विचारों का आदान-प्रदान करने में सफल हो सकें
(b) विद्यालय धन का उसके विकास कार्यों पर समुचित प्रयोग करना
(c) विद्यालय सम्बन्धी कठिनाइयों के उपचार की व्यवस्था करना
(d) विद्यालय भवन एवं खेल के मैदानों के उचित प्रयोग सम्बन्धी व्यवस्था करना
- शिक्षकों के पर्यवेक्षण के आधार पर जो प्रमुख उद्देश्य प्राप्त किया जाता है, वह है-
(a) निर्धारित पाठ्यक्रम से शिक्षकों को बलपूर्वक जोड़ना
(b) विद्यालय कर्मिकों का भरपूर उपयोग
(c) छात्रों की उत्तरोत्तर प्रगति पर ध्यान रखना
(d) अधिगम प्रक्रियाओं को उन्नत बनाना
- शिक्षण-पर्यवेक्षण का प्रमुख कार्य है–
(a) छात्रों के कल्याण की प्रोन्नति
(b) शिक्षण कार्य दिवसों का संगठन
(c) पाठ्यक्रम का उत्तम क्रियान्वयन
(d) विद्यालय व्यवस्थाओं का उत्तम प्रयोग
Follow Me
Leave a Reply