B.Com 2nd Year Heads Of Income Short Notes In Hindi
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लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1-आयकर अधिनियम, 1961 के ग्रेच्युइटी के सम्बन्ध में प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
Discuss the provisions of Income Tax Act, 1961 regarding gratuity.
उत्तर – ग्रेच्युइटी (Gratuity) मृत्यु अथवा अवकाश ग्रहण करने पर प्राप्त ग्रेच्युइटी की कर-योग्य राशि निर्धारित करने के लिए कर्मचारियों को दो भागों में बाँटा गया है
1. सरकारी कर्मचारी सरकार अथवा स्थानीय सत्ता के सब श्रेणियों के कर्मचारियों द्वारा प्राप्त Death-cum-Retirement Gratuity की राशि पूर्णतया आयकर से मुक्त है। यदि सेवा से निवृत्त होने के बाद एक सरकारी कर्मचारी किसी निजी क्षेत्र की संस्था में सेवारत हो जाता है तो भी सरकार से प्राप्त ग्रेच्युइटी की सम्पूर्ण राशि कर-मुक्त होगी।
2. ग्रेच्युइटी भुगतान अधिनियम, 1972 (The Payment of Gratuity Act, 1972) के अन्तर्गत आने वाले गैर-सरकारी कर्मचारी –
ग्रेच्युइटी भुगतान अधिनियम के अन्तर्गत निम्न प्रकार के कर्मचारी आते हैं –
ग्रेच्युइटी अधिनियम उन कर्मचारियों पर लागू होता है जो किसी संगठन, फैक्टरी, खान, ऑयल फील्ड (Oil field), बन्दरगाह, रेलवे अथवा किसी दुकान में प्रवीणता, अर्द्धप्रवीणता अथवा गैर-प्रवीणता का हस्त-सम्बन्धी, प्रबन्ध सम्बन्धी, तकनीक सम्बन्धी अथवा लिपिक सम्बन्धी कार्य कर रहे हों। वे व्यक्ति किसी प्रबन्धकीय पद अथवा प्रशासनिक पद पर भी कार्यरत हो सकते हैं।
अपवाद (Exception)-(i) केन्द्रीय अथवा राज्य सरकार के कर्मचारी।
(ii) ऐसे कर्मचारी जिन पर इस सम्बन्ध में कोई अन्य अधिनियम या नियम लागू होते हैं उपर्युक्त अधिनियम के अन्तर्गत नहीं आते हैं।
ग्रेच्युइटी भुगतान अधिनियम उस संस्था पर लागू होता है जिसमें पिछले 12 माह में किसी भी दिन दस या दस से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं अथवा कार्यरत थे।
जब यह अधिनियम किसी संस्था पर एक बार लागू हो जाता है तो लागू ही रहता है चाहे कर्मचारियों की संख्या दस से कम ही क्यों न हो जाए।
कर-मुक्त राशि – निम्नलिखित में से सबसे कम राशि कर-मुक्त होगी –
(i) नौकरी के प्रति सम्पूर्ण वर्ष तथा 6 माह से अधिक अंश पर (जिसे पूरा वर्ष माना जाएगा) सबसे अन्त में प्राप्त वेतन के आधार पर, 15 दिन का वेतन (मौसमी संस्थाओं की दशा में 7 दिन का वेतन), अथवा
(ii) रू. 20,00,000, अथवा
(iii) वास्तव में प्राप्त ग्रेच्युइटी की राशि।
प्रश्न 2 – अनुलाभ किन्हें कहते हैं?
What are perquisites ?
उत्तर – सुविधाओं के रूप में प्राप्त लाभ जो नकद में प्राप्त न होते हों, अनुलाभ की श्रेणी में आते हैं तथा ये तीन प्रकार के होते हैं
1. प्रत्येक कर्मचारी के लिए कर योग्य अनुलाभ – किराये से मुक्त मकान की सुविधा, कर्मचारियों के दायित्वों का भुगतान, कर्मचारी के जीवन बीमा प्रीमियम का भुगतान। ।
2. विशिष्ट अनुलाभ – कार, नौकर, माली, गैस, बिजली-पानी, शिक्षा आदि की सुविधा।
3. सबके लिए कर-मुक्त अनुलाभ – चिकित्सा, नाश्ता, मनोरंजन, टेलीफोन, परिवार नियोजन, छात्रवृत्ति, अवकाश यात्रा आदि की सुविधाएँ।
प्रश्न 3 – चार करमुक्त अनुलाभ लिखिए।
Write four tax-free perquisites.
उत्तर – करमुक्त अनुलाभ (Tax-free Perquisites)
1.चिकित्सा सुविधा सम्बन्धी अनुलाभ-मुफ्त स्वास्थ्य परीक्षण एवं दवाएँ आदि।
2. दूरसंचार सम्बन्धी अनुलाभ-मुफ्त फोन, मोबाइल सुविधा आदि।
3. छात्रवृत्ति सम्बन्धी अनुलाभ-कर्मचारी के बच्चों की मुफ्त शिक्षा आदि।
4. अवकाश यात्रा सम्बन्धी अनुलाभ-कर्मचारियों को अवकाश के दौरान मुफ्त यात्रा की सुविधा आदि प्रदान करना।
प्रश्न 4 – प्रमाणित प्रॉविडेण्ट फण्ड को समझाइए।
Explain Recognized Provident Fund.
उत्तर – प्रमाणित प्रॉविडेण्ट फण्ड (Recognized Provident Fund)-प्रमाणित प्रॉविडेण्ट फण्ड आयकर मुख्य कमिश्नर अथवा कमिश्नर द्वारा स्वीकृत होता है। इसमें कर्मचारी प्रॉविडेण्ट फण्ड एक्ट, 1952 के अन्तर्गत बनायी गई योजना के अन्तर्गत स्थापित प्रॉविडेण्ट फण्ड भी सम्मिलित हैं। यह फण्ड प्राय: अनुसूचित बैंकों, कारखानों व बहुत-सी व्यापारिक संस्थाओं में रखा जाता है। यह फण्ड निजी क्षेत्र के संगठनों द्वारा रखा जाता है।
(a) वह राशि जो कुल आय में सम्मिलित की जाती है – जब कोई व्यक्ति इस फण्ट का सदस्य होता है तो __
(i) उसके वेतन में से काटी हई रकम (जो इस फण्ड में जमा की गई हो)
(ii) नियोक्ता द्वारा दिए हुए अंशदान का वह भाग जो कर्मचारियों के वेतन के 12% से अधिक हो तथा
(iii) फण्ड के ब्याज का वह भाग जो निर्धारित दर 9.5% से अधिक हो, कर्मचारी की आय में जोड़ा जाता है, अर्थात् नियोक्ता का अंशदान वेतन के 12% भाग तक तथा फण्ड का ब्याज 9.5% की दर तक कर्मचारी की आय में सम्मिलित नहीं किया जाता और न ही उस पर कर लगता है।
(b) धारा 80C के अन्तर्गत कटौती के लिए योग्य राशि की अधिकतम सीमा –
(i) इस फण्ड के लिए एक कर्मचारी द्वारा अपने वेतन में से कटायी हुई राशि रू.1,50,000 तक।
(ii) इस राशि पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता, अर्थात् न तो यह कर्मचारी की आय में जोड़ी जाती है और न ही उस पर किसी प्रकार का कर लगता है।
प्रश्न 5 – किसी सम्पत्ति समूह का अपलिखित मूल्य कैसे ज्ञात किया जाता है?
How is the written-down value of a block of asset ascertained ?
अथवा सम्पत्तियों का खण्ड क्या है?
What is block of assets?
उत्तर – सम्पत्तियों का खण्ड
(Block of Assets)
ऐसी मूर्त सम्पत्तियाँ जो एक ही वर्ग की हों (जैसे—भवन, मशीनरी, संयन्त्र अथवा फर्नीचर) अथवा अमूर्त सम्पत्तियाँ (तकनीकी ज्ञान, पेटेण्ट, ट्रेडमार्क आदि) तथा जिन पर हास की एक समान दर लागू है, सम्पत्तियों का एक खण्ड (Block of Assets) कहलाता है। ह्रास सम्पत्तियों के एक खण्ड (Block of Assets) के आधार पर स्वीकृत होता है जो उस खण्ड के अपलिखित मूल्य पर निर्धारित दर से घटाया जाता है।
हास की विधियाँ (Methods of Depreciation)
(अ) सम्पत्तियों के खण्ड के अपलिखित मूल्य पर निर्धारित दरों से ह्रास स्वीकृत होगा।
(ब) यदि कोई औद्योगिक उपक्रम शक्ति के उत्पादन अथवा उत्पादन एवं वितरण (Generation of power or generation and distribution of power) में लगा र तो उसकी सम्पत्तियों की वास्तविक लागत पर निर्धारित दरों से ह्रास लिया जा सकता है।
प्रश्न 6 – क्या सामान्य व्यापार की हानियों को सट्टे के व्यापार के लाभों से पूरित किया जा सकता है?
Can general business losses be set off out of speculation profits.
उत्तर – गैर-सट्टा व्यापार अथवा पेशे की हानि की पूर्ति (Set-off los Non-speculative Business or Profession)-गैर-सट्टा व्यापार अथवा की पति व्यापार अथवा पेशा’ शीर्षक में किसी स्रोत की आय से (सट्टा व्यापार अथवा पेशा शीर्षक में किसी स्त्रोत की आय से (सट्टा व्यापार के लाभ सहित) की जा सकती है। यदि इस शीर्षक में अन्य आय नहीं बची है तो शेष हानि की पूर्ति आय के किसी अन्य शीर्षक (वेतन शीर्षक छोड़कर) से की जा सकती है।
अशोधित ह्रास व्यापार अथवा पेशे की हानि नहीं माना जाता। अशोधित ह्रास के सम्बन्ध में धारा 32(2) के प्रावधान लागू होते हैं। अत: अशोधित ह्रास की पूर्ति वेतन से आय’ की जा सकती है।
प्रश्न 7 – मकान किराया भत्ता के प्रावधानों की व्याख्या कीजिए।
Explain the provisions of House Rent Allowance.
अथवा मकान किराया भत्ता के क्या प्रावधान हैं?
What are the provisions of house rent allowance?
उत्तर – मकान किराया भत्ता
(House Rent Allowance)
प्राय: बड़े शहरों में सरकारी एवं गैर-सरकारी कर्मचारियों, जिन्हें नियोक्ता द्वारा मकान की सुविधा प्रदान नहीं की जाती, को यह भत्ता मकानों के अधिक किराये की क्षतिपूर्ति हेतु दिया जाता है। आयकर अधिनियम की धारा 10 (13-A) के अन्तर्गत मकान किराया भत्ता निर्धारित सीमा तक कर-मुक्त होता है। करदाता को अपने नियोक्ता (मालिक) से प्राप्त होने वाले मकान किराया भत्ते के सम्बन्ध में निम्नलिखित तीन सीमाओं में से जो धनराशि सबसे कम हो, कर-मुक्त होगी
(i) सम्बन्धित अवधि के लिए करदाता द्वारा प्राप्त मकान किराये भत्ते की वास्तविक धनराशि, अथवा
(ii) सम्बन्धित अवधि के वेतन के 1/10 से अधिक किराया, जो करदाता ने चुकाया (अर्थात् वास्तविक किराये की धनराशि-वेतन का 1/10 भाग), अथवा
(iii) (अ) यदि रहने का मकान मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली अथवा चेन्नई में स्थित है तो सम्बन्धित अवधि के वेतन का 50% अर्थात् 1/2 भाग, अथवा
(ब) यदि रहने का मकान अन्य किसी स्थान पर स्थित है तो सम्बन्धित अवधि के वेतन का 40% अर्थात् 2/5 भाग।
कर्मचारी को मिले मकान किराये भत्ते की राशि में से उपरिवर्णित तीन सीमाओं में से जो राशि सबसे कम हो, उसको घटाकर शेष राशि को उसकी वेतन की आय में जोड़ दिया जाता है। इसी प्रकार, यदि कोई कर्मचारी अपने मकान में रह रहा है अथवा वह किसी ऐसे मकान में रह रहा है जिसका वह कोई किराया नहीं चुकाता है और उसे किराया-भत्ता भी मिल रहा है तो मकान किराये भत्ते की सम्पूर्ण राशि कर योग्य होगी।
प्रश्न 8 – मकान सम्पत्ति का वार्षिक मूल्य क्या होता है?
What is annual value of house property ?
उत्तर- मकान-सम्पत्ति के वार्षिक मूल्य का अर्थ
(Meaning of Annual Value of House Property) मकान-सम्पत्ति के वार्षिक मूल्य से आशय उस मूल्य से है जिस पर यह सम्पत्ति प्रतिवर्ष उचित किराये पर उठाई जा सकती है। इस प्रकार प्राप्त आय उतनी महत्त्वपूर्ण नहीं है जितनी कि किराये पर उठाए जाने की क्षमता महत्त्वपूर्ण है।
आयकर अधिनियम की धारा 23 (1) के अनुसार मकान-सम्पत्ति के वार्षिक मला आशय उस राशि से है जिस पर वह कान-सम्पत्ति प्रतिवर्ष उचित किराये पर उठाई। सकती है (चाहे वह मकान-सम्पत्ति किराये पर उठी हो या मकान मालिक उसमें स्वयं रखना हो), परन्तु यदि किराये पर उठी हुई मकान-सम्पत्ति का वास्तविक किराया (वार्षिक) उचित किराये से अधिक हो तो वास्तविक किराये को ही उस मकान-सम्पत्ति का वार्षिक मूल्य माना जाएगा। वार्षिक मूल्य का निर्धारण निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है
(i) नगरपालिका अथवा नगर निगम द्वारा स्थानीय करों के लिए निर्धारित मकान-सम्पत्ति का वार्षिक मूल्य।
(ii) मकान-सम्पत्ति का वास्तविक किराया।
(iii) उसी क्षेत्र में इसी प्रकार की अन्य मकान-सम्पत्ति का किराया।
(iv) ऐसा काल्पनिक किराया जिस पर यह मकान-सम्पत्ति आसानी से किराये पर उठाई जा सकती हो।
इस प्रकार मकान-सम्पत्ति का वार्षिक मूल्य वह राशि है जो उपरिवर्णित चारों राशियों में सबसे अधिक होती है। यदि किराया नियन्त्रण अधिनियम (Rent Control Act) के अन्तर्गत किसी मकान-सम्पत्ति का मानक किराया (Standard Rent) निर्धारित कर दिया जाता है तो ऐसी मकान-सम्पत्ति का वार्षिक मूल्य उसके मानक किराये से अधिक नहीं होगा, लेकिन यदि मकान मालिक अपने किरायेदार से मानक किराये से अधिक किराया वसूल कर रहा है तो वास्तविक रूप से प्राप्त किराये के अनुसार ही ऐसी मकान-सम्पत्ति का वार्षिक मूल्य निर्धारित होगा।
प्रश्न 9 – अन्य साधनों से आय के कुछ उदाहरण दीजिए।
Give some examples of income from other sources.
उत्तर – (1) रॉयल्टी की आय।
(2) संचालक शुल्क।
(3) बैंक व अन्य किसी संस्था से ब्याज की आय।
(4) गुप्त साधनों से आय।
(5) किराये के मकान को शिकमी किरायेदार को किराये पर देने से आय आदि।
(6) प्रतिभूतियों पर ब्याज छोड़कर सब प्रकार का ब्याज.
उदाहरणार्थ-ऋण प ब्याज, किसान विकास-पत्र एवं इन्दिरा विकास-पत्र पर ब्याज आदि।
(7) किसी अध्यापक को किसी परीक्षा के परीक्षक के रूप में प्राप्त पारिश्रमिका
(8) किसी ऐसी भूमि का किराया जो भवन से न लगी हो।
(9) भारत से बाहर कृषि भूमि से आय।
(10) हाट, बाजारों अथवा मछली क्षेत्रों से आय।
(11) पट्टे पर रखी हुई सम्पत्ति से आय।
(12) गैर-पेशेवर को पत्रिकाओं में लेख देने के प्रतिफल से मिली आया
प्रश्न 10 – अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन पूँजी लाभों को समझाइए।
Discuss short-term and long-term capital gains.
उत्तर -1. अल्पकालीन पूँजी लाभ (Short-term Capital Gain)-यदि कोई पंजी-सम्पत्ति करदाता के पास 36 माह या 36 माह से कम समय तक रहती है तो ऐसी पूंजी सम्पत्ति के हस्तान्तरण से होने वाला लाभ ‘अल्पकालीन पूँजी लाभ’ कहलाता है। एक कम्पना के अंश जो अंश-सूचीकृत प्रतिभूतियाँ तथा अन्य प्रतिभूतियाँ जो स्कन्ध विपणि में अनुसूचित हो एवं भारतीय प्रन्यास की यूनिटें एवं धारा 10 (23D) में निर्दिष्ट म्यूचुअल फण्ड की यूनिट करदाता के पास हस्तान्तरण की तिथि से ठीक पूर्व 12 माह या 12 माह से कम रही हों तो इन्हें अल्पकालीन पूँजी सम्पत्ति माना जाता है और इनके हस्तान्तरण से होने वाले लाभ को अल्पकालीन पूँजी लाभ माना जाएगा।
सूत्रानुसार
STCG = प्रतिफल की सम्पूर्ण राशि – (प्राप्त करने की लागत
+ सुधार करने की लागत + विक्रय व्यय)
2. दीर्घकालीन पूँजी लाभ (Long-term Capital Gain)-यदि कोई पूँजी सम्पत्ति करदाता के पास 36 माह से अधिक रहती है तो ऐसी पूँजी सम्पत्ति के हस्तान्तरण से होने वाला लाभ ‘दीर्घकालीन पूँजी लाभ’ कहलाता है। अंशों, सूचीकृत प्रतिभूतियों एवं यूनिटों की दशा में जो करदाता के पास हस्तान्तरण की तिथि से ठीक पूर्व 12 माह या 12 माह से अधिक रहे हों तो इन्हें दीर्घकालीन पूँजी सम्पत्ति माना जाता है। इनके हस्तान्तरण पर होने वाले लाभ को दीर्घकालीन पूँजी लाभ मानते हुए कर लगाया जाएगा।
प्रश्न 11- पूँजी हानियाँ किस प्रकार पूरी की जा सकती हैं?
How capital losses may be set-off ?
उत्तर – पूँजी हानियाँ दो प्रकार की होती हैं
1. अल्पकालीन पूँजी हानि (Short-term Capital loss)-यह हानि अन्य किसी अल्पकालीन अथवा दीर्घकालीन पूँजी लाभ से पूरी की जा सकती है। यदि सम्पूर्ण हानि की राशि पूरी न की जा सके तो उसे अगले 8 वर्षों में अल्पकालीन पूँजीगत लाभों से अथवा दीर्घकालीन पूँजी लाभों से पूरा किया जा सकता है।
2. दीर्घकालीन पूँजी हानि (Long-term Capital loss)-दीर्घकालीन पूँजी हानि की पूर्ति केवल दीर्घकालीन पूँजी लाभ से ही की जा सकती है। अपूर्ण हानि को अगले 8 वर्षों तक दीर्घकालीन पूँजी लाभ से पूरा किया जा सकता है।
प्रश्न 12 – पूँजी लाभ खाता योजना, 1988 क्या है?
What is Capital Gains Account Scheme, 1988 ?
उत्तर – प्राप्त पूँजी लाभ को यदि पुनः सम्पत्ति के क्रय अथवा निर्माण के रूप में उपयोग न किया जा सके तो करदाता पूँजी लाभ खाता योजना, 1988 में जमा करके अपने दीर्घकालीन पूँजी लाभ पर कर देने से बच जाता है तथा सम्पूर्ण पूजी लाभ कर-मुक्त हो जाता है। करदाता को केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिकृत किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में इस योजना के अन्तर्गत खाता खोलकर आवश्यक राशि जमा करना होता ह। यह राशि धारा 54, 54 (B), 54 (D). 54 (E), 54 (EC) तथा 54 (F), के प्रावधानों के अनुसार प्रयोग की जाएगी। इस राशि को निर्धारित अवधि के अन्दर प्रयोग कर लेना चाहिए अन्यथा निर्धारित अवधि के बाद न प्रयोग की गई राशि उस वर्ष का कर योग्य पूँजी लाभ मान ली जाएगी।
प्रश्न 13 – लाभांश को समझाइए।
Explain Dividend.
उत्तर – लाभांश
(Dividend)
अर्थ (Meaning)-साधारण भाषा में लाभांश का अर्थ कम्पनी के अंशधारी द्वारा स प्राप्त वह रकम है जो कम्पनी ने अपने लाभों का वितरण करने के रूप में बाँटी हो।
लाभांश की आय किस गत वर्ष की आय मानी जाएगी
1. सामान्य लाभांश (Normal Dividend)-सामान्य लाभांश की आय उस गत वर्ष की आय मानी जाएगी जिस वर्ष में वह कम्पनी द्वारा घोषित किया गया हो।
2. अन्तरिम लाभांश (Interim Dividend)-किसी वर्ष की वार्षिक साधारण सभा से पूर्व कम्पनी द्वारा जो लाभांश घोषित किया जाता है उसे अन्तरिम लाभांश कहते हैं। अन्तरिम लाभांश उस गत वर्ष की आय माना जाएगा जिस वर्ष में कम्पनी ने उसका भुगतान किया हो।
लाभांश पर करदेयता (Taxation of Dividend) (कर-निर्धारण वर्ष 2018-19)
(अ) घरेलू कम्पनी द्वारा लाभांश (जिसमें माना गया लाभांश भी शामिल है) का स वितरण-ऐसा लाभांश कर-मुक्त है।
(ब) सहकारी समिति से लाभांश – इस लाभांश की राशि आय में जोड़ी जाएगी। स सहकारी समिति स्रोत पर कर नहीं काट सकती अत: इस लाभांश को सकल करने का प्रश्न नहीं उठता।
(स) विदेशी कम्पनी से भारत में प्राप्त लाभांश कर-योग्य है।
(द) घरेलू कम्पनी द्वारा कर भुगतान – एक घरेलू कम्पनी जो लाभांश घोषित, वितरित या भुगतान करती है उसे लाभांश की सकल राशि पर निम्न दर से (कर-निर्धारण वर्ष 2017-18) कर देना होता है
(i) आयकर-@ 15%;
(ii) अधिभार-@ 12%;
(iii) शिक्षा उपकर एवं माध्यमिक और उच्च शिक्षा उपकर – आयकर एवं अधिभार की राशि पर @ 3%; अर्थात् 17. 304% से कम्पनी को कर चुकाना होगा।
(य) अंशधारी द्वारा कर भुगतान – यदि निम्नलिखित शर्ते पूरी हों तो अंशधारी को माने नए लाभांश की राशि पर कर देना होगा
(i) कम्पनी में जनता का सारवान हित नहीं है। इसे closely-held कम्पनी भी कहते हैं।
(ii) अंशधारी के पास ऐसी कम्पनी में कम-से-कम 10% का मताधिकार है।
(iii) अंशधारी गत वर्ष में ऐसी कम्पनी से ऋण लेता है।
(v) ऐसे माने गए लाभांश पर कम्पनी धारा 115-0 के अन्तर्गत वितरित लाभों पर कर नहीं देती।
(vi) ऐसे माने गए लाभांश की राशि अंशधारी की आय में ‘अन्य साधनों से आय’ शीर्षक में शामिल की जाएगी। ऐसी आय में से अंशधारी निम्नलिखित खर्चे घटा सकता है
(क) लाभांश एकत्रित करने के व्यय, यदि कुछ हैं,
(ख) उपर्युक्त वर्णित कम्पनी के अंश खरीदने के लिए यदि ऋण लिया गया है तो सम्बन्धित गत वर्ष का ब्याज।
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