B.Com 2nd Year Basic Concepts Short Notes In Hindi
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लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1 – आयकर को स्पष्ट कीजिए। आयकर गत वर्ष की आय पर लगता है।” अपवाद लिखिए।
Explain the term ‘Income Tax”. “Income Tax is charged on income of Previous Year.” Explain exceptions.
अथवा गत वर्ष की आय कर निर्धारण वर्ष में कर योग्य है।” विवेचना कीजिए।
“The income of previous year is assessable in assessment year.” Explain.
उत्तर – आयकर से तात्पर्य
(Meaning of Income Tax)
आयकर आय पर लगने वाला एक वार्षिक कर है। यह प्रत्येक वर्ष में करदाता द्वारा वर्ष भर में कमाई गई कर-योग्य आय पर लगाया जाता है। कर-योग्य आय का निर्धारण आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार किया जाता है।
कर-योग्य आय में से कर-मुक्त सीमा तक की आय घटाकर शेष बची हुई आय पर निर्धारित दरों से आयकर चुकाया जाता है; जैसे-यदि किसी व्यक्ति की कुल कर-योग्य आय रू 6,80,000 है तो रू. 2,50,000 घटाकर शेष रू. 4,30,000 पर निर्धारित दरों से वह आयकर चुकाएगा।
करदाता कई प्रकार के होते हैं; जैसे-एक व्यक्ति, फर्म, हिन्दू अविभाजित परिवार, कम्पनी, व्यक्तियों के समुदाय, सहकारी समिति, ट्रस्ट आदि।
आयकर किसे देना होता है-प्रत्येक ऐसे व्यक्ति को जिसकी गत वित्तीय वर्ष की कर-योग्य आय कर-मुक्त सीमा से अधिक हो चालू वित्तीय वर्ष में लागू दरों से आयकर देना होता है।
(i) अनिवासियों की समुद्री जहाज द्वारा व्यापार से आय – अनिवासी की समुद्री जहाज द्वारा सामान, डाक, पशु अथवा यात्रियों को भारतीय बन्दरगाह से ले जाने के व्यापार से प्राप्त अथवा प्राप्य राशि का 7.5% भाग कर योग्य मानकर चाल वर्ष में ही उस आय पर कर ले लिया जाएगा।
(ii) भारत को छोड़कर जाने वाले व्यक्तियों की आय – यदि कोई व्यक्ति करनिर्धारण वर्ष में अथवा उसके शीघ्र बाद भारत से जाने वाला है तथा उसका भारत लौटने का इरादा नहीं है तो उसके जाने की सम्भावित तिथि तक की आय पर चालू वर्ष में ही कर ले लिया जाएगा।
(iii) किसी विशिष्ट घटना या प्रयोजन के लिए व्यक्तियों का संघ (AOP) या व्यक्तियों का समूह (BO) या कृत्रिम व्यक्ति (Artificial Juridical Person) का बनाया जाना—किसी विशिष्ट घटना या प्रयोजन के लिए व्यक्तियों का संघ या व्यक्तियों का समूह या कृत्रिम व्यक्ति बनाया गया है और चालू कर निर्धारण वर्ष में अथवा उसके समाप्त होने के कुछ समय बाद इसका विघटन कर दिया जाएगा तो ऐसे व्यक्ति से उसके विघटन की सम्भावित तिथि तक की कुल आय पर चालू वर्ष में ही कर ले लिया जाएगा। (धारा 174A)
(iv) कर – वंचना के उद्देश्य से सम्पत्ति का हस्तान्तरण करने वाले की आय-यदि कोई करदाता कर बचाने के लिए अपनी सम्पत्ति किसी अन्य व्यक्ति को हस्तान्तरित करने वाला है, तो उसकी उस वर्ष की आय पर ही चालू वर्ष में ही कर ले लिया जाएगा।
(v) व्यापार अथवा पेशे के बन्द होने पर – किसी व्यापार या पेशे के बन्द होने पर व्यापार अथवा पेशा बन्द करने की तिथि तक की आय पर चालू वर्ष में ही कर ले लिया जाएगा।
उपर्युक्त (1) से (v) में वर्णित आय पर सम्बन्धित वित्त वर्ष की आय पर अग्रिम कर के लिए निर्धारित दरों से कर देना होगा। उदाहरणार्थ- ‘अ’ 10 जुलाई, 2018 को भारत से बाहर जा रहा है। गत वर्ष 2017-18 की आय पर कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 के लिए लाग कर की दरों से कर देना होगा तथा 1.4.2018 से 10.7.2018 तक की आय पर वित्त वर्ष 2018-19 में अग्रिम कर देने के लिए जो दरें निर्धारित की गई हैं उन दरों से कर देना होगा।
प्रश्न 2 – ‘आयकर आय पर लगने वाला कर है, प्राप्तियों पर लगने वाला नहीं‘ इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
‘Income tax is a tax on income and not on receipts’. Explain this statement.
उत्तर – आयकर आय पर लगने वाला एक वार्षिक कर है। यह गत वर्ष की करयोग्य आय पर लगाया जाता है। कर-योग्य आय का निर्धारण आयकर अधिनियम द्वारा किया जाता है। कर-योग्य आय में से कर-मुक्त सीमा तक आय घटाने के बाद शेष बची हुई आय पर निर्धारित दरों से आयकर चुकाया जाता है। करदाता एक व्यक्ति, हिन्दू अविभाजित परिवार, फर्म, कम्पनी, सहकारी समिति, ट्रस्ट आदि हो सकते हैं। प्रत्येक ऐसे व्यक्ति को जिसकी आय कर मुक्त सीमा से अधिक है, उसे चालू वित्त वर्ष में लागू दरों से आयकर देना होता है। ध्यान रहे आयकर व्यक्ति की आय पर ही लगता है, प्राप्तियों पर नहीं लगता है।
प्रश्न 3–व्यक्ति से क्या आशय है?
Who is an individual ?
उत्तर – व्यक्ति शब्द में निम्नलिखित को शामिल किया जाता है
(1) एक व्यक्ति (A person); जैसे—विजय, सीता, रमेश आदि।
(2) हिन्दू अविभाजित परिवार (A Hindu Undivided Family)|
(3) एक कम्पनी (A Company); जैसे-सिण्डिकेट बैंक, इलाहाबाद बैंक, डी०एन०टी० कम्पनी आदि।
(4) एक फर्म (A Firm)।
(5) व्यक्तियों का समुदाय (Association of Persons), व्यक्तियों का समूह (Body of Individuals); जैसे-सहकारी समिति (Cooperative Society)।
(6) स्थानीय सत्ता (Local Authority); जैसे-नगरपालिका (Municipality), जिला परिषद्, नगर निगम आदि।
(7) कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति (Artificial Judicial Person); जैसे—देवी, देवता, विश्वविद्यालय आदि।
(8) कृत्रिम वैधानिक व्यक्ति (Artificial Person Created by Law); जैसेवैधानिक निगम, सहकारी संस्था, प्राधिकरण आदि।
प्रश्न 4 – करदाता से क्या आशय है?
Who is an assessee ?
उत्तर – करदाता से अभिप्राय आयकर अधिनियम की धारा 2(7) के अन्तर्गत निम्नलिखित व्यक्ति से है
(1) जिसकी आय पर आयकर विभाग ने कर लगाने की कार्यवाही आरम्भ कर दी है।
(2) जिसे करदाता मान लिया हो, अर्थात वह व्यक्ति जो कि किसी अन्य व्यक्ति की आय पर कर चुकाने के लिए उत्तरदायी हो; जैसे-मृतक का उत्तराधिकारी आदि।
(3) जो स्वयं की आय पर कर देने का उत्तरदायी है।
(4) जो अन्य राशि (ब्याज, अर्थदण्ड) देने का उत्तरदायी है।
(5) जिसे चूक में करदाता (Assessee in Default) मान लिया गया हो।
(6) व्यक्ति जिस पर निम्नलिखित में से कोई कार्यवाही चल रही हो
(i) कर की वापसी की कार्यवाही।
(ii) सुविधाओं या लाभों के कर-निर्धारण की कार्यवाही।
(iii) हानि निर्धारण के सम्बन्ध में कार्यवाही।
(iv) अन्य व्यक्ति की आय के सम्बन्ध में कार्यवाही।
प्रश्न 5 – माना हुआ करदाता‘ कौन है? Who is deemed assessee?
उत्तर – ‘माना हुआ करदाता‘ (Deemed Assessee)-जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति की आय के सम्बन्ध में करदाता माना जाता है तो उसे ‘माना हुआ करदाता
(Deemed Assessee) कहते हैं। उदाहरणार्थ-(i) किर कानूनी उत्तराधिकारी उस आय के सम्बन्ध म पहले कर न चुकाया हो। (ii) प्रतिनिधित्व पागल की आय के सम्बन्ध में करदाता माना जाता है।
प्रश्न 6 – ‘चूक में करदाता‘ कौन है?
Who is Assessee in Default?
उत्तर – चूक में करदाता (Assessee in Default)-अ किसी कार्य का उत्तरदायित्व किसी व्यक्ति पर डाला जाता है और है तो ऐसा व्यक्ति ‘चूक में करदाता’ (Assesses यदि कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को कोई धनराशि उत्तरदायी है और यदि वह यह कर नहीं काटता है या काटकर सरकारी काष म जम करता है तो वह व्यक्ति ‘चूक में करदाता’ समझा जाता है।
प्रश्न 7 – सकल कुल आय से क्या आशय है?
What is Gross Total Income ?
उत्तर – आय विभिन्न साधनों की सहायता से कमायी जा सकती है। विभिन्न साधनों से प्राप्त आय को पाँच शीर्षकों में रखा जाता है। आय के इन पाँचों शीर्षकों के योग को ही ‘सकल कुल आय’ कहते हैं। ये पाँच शीर्षक निम्नवत् हैं
1. वेतन से आय (Income from Salaries)
2. मकान सम्पत्ति से आय (Income from House Property) 3. व्यापार अथवा पेशे से आय (Income from Business or Profession)
4. पूँजी लाभ (Capital Gains)
5. अन्य साधनों से आय (Income from Other Sources)
प्रश्न 8 – कृषि आय का क्या अर्थ है?
What is Agricultural Income ?
उत्तर – कृषि आय का अर्थ
(Meaning of Agricultural Income)
भारत में कृषि आय प्रारम्भ से ही आयकर से मुक्त रही है। इसका औचित्य यह है कि कृषि भूमि पर मालगुजारी (Land Revenue) लगती है और संविधान के अन्तर्गत कृषि राज्य विषय होने के कारण राज्य सरकारें ही कृषि आय पर कर लगा सकती हैं। कुछ राज्य सरकारों ने इस प्रकार की आय पर कर लगाए भी हैं। कर-निर्धारण वर्ष 1973-74 तक कृषि आय पूर्णतया कर-मुक्त थी, परन्तु कर-निर्धारण वर्ष 1974-75 से आयकर अधिनियम में एक महत्त्वपूर्ण संशोधन के अनुसार कृषि आय को करदाता की अन्य गैर-कृषि आय पर लगन वाली कर की दरों को निर्धारित करने के लिए उसकी कुल आय में जोड़ा तो जाता है, लेकिन कृषि आय पर आयकर नहीं लगाया जाता। इसका स्पष्टीकरण ‘कर प्रयोजन के लिए कृषि आर का एकीकरण’ शीर्षक में दिया गया है। यद्यपि अब भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 10 (1) के अन्तर्गत कृषि आय, आयकर से मुक्त है, लेकिन करदाता की गैर-कृषि आय में कृषि आय जोड़ देने से करदाता की आयकर की औसत दर बढ़ जाती है।
प्रश्न 9 – जमीन से सम्बन्धित गैर-कृषि आय पर सूक्ष्म टिप्पणी लिखिए।
Write a short note on Non-agricultural Income relating Land.
उत्तर- जमीन से सम्बन्धित गैर-कृषि आय
(Non-agricultural Income relating Land)
निम्न प्रकार की आयें यद्यपि जमीन से सम्बन्धित हैं तथापि ये कृषि कार्यों से उत्पन्न न होने के कारण कृषि आय नहीं कही जा सकतीं
(i) हाट-बाजारों से होने वाली आय;
(ii) पत्थरों की खानों से होने वाली आय;
(iii) खानों की Royalty से आय;
(iv) कृषि उपज को संगृहीत करने के लिए भण्डार के रूप में प्रयोग में लायी हुई भूमि से आय;
(v) सिंचाई के लिए पानी देने से आय; उदाहरणार्थ-किसी ट्यूब-वेल या कुएँ से सिंचाई के लिए पानी देने से जो आय होती है क्योंकि ऐसी आय कृषि कार्य से उत्पन्न नहीं हुई है।
(vi) स्वयं उग आयी हुई घास, पेड़ अथवा बाँस से आय;
(vii) मछली क्षेत्रों से होने वाली आय;
(viii) उस मिट्टी की आय जो ईंट बनाने के लिए बेच दी गयी है;
(ix) कृषि फार्म के मैनेजर को मिलने वाला पारिश्रमिक;
(x) कृषि कार्य में लगी हुई कम्पनी से लाभांश की आय;
(xi) खड़ी फसल के क्रेता को आय;
(xii) डेरी-फार्म, मुर्गीपालन आदि से आय;
(xiii) कृषि भूमि के किराये की बकाया पर ब्याज से आय।
प्रश्न 10 – चार गैर-कृषि आय लिखिए।
Write four Non-agricultural Income.
उत्तर-(i) स्वयं उग आई घास, पेड़ अथवा बाँस से आय।
(ii) उस मिट्टी से आय जो ईंट बनाने हेतु विक्रय की जाए।
(iii) कृषि फार्म के मैनेजर का मिलने वाला पारिश्रमिक।
(iv) सिंचाई हेतु पानी देने से आय।
प्रश्न 11 – आकस्मिक आय पर टिप्पणी लिखिए।
Write a note on Casual Income.
उत्तर – आकस्मिक आय का अर्थ (Meaning of Casual Income)नाकस्मिक आय से आशय ऐसी प्राप्तियों से है जो संयोगवश और बिना पूर्वानुमान के प्राप्त
होती हैं तथा जिनके बार-बार प्राप्त होने की सम्भावना न के बराबर होती है। यह आय परी कर-योग्य होती है, जैसे-सड़क पर पड़ा हुआ धन मिलना। इसके अलावा आकस्मिक आयर लॉटरी से जीत, घुड़दौड़ से आय, वर्ग पहेली, ताश के खेल, शर्त आदि की जीत से प्राप्त आय शामिल हैं।
आकस्मिक आय की विशेषताएँ (Characteristics of Casual Income)-
(1) ये आय अनिश्चित समय पर, अचानक प्राप्त होती हैं।
(2) इनका स्रोत निश्चित नहीं होता।
(3) आकस्मिक आय बार-बार प्राप्त नहीं होती है।
(4) इनका पूर्वानुमान नहीं किया जा सकता है।
(5) इनके प्राप्त होने का कोई निश्चित स्थान नहीं होता है।
(6) इनकी सम्पूर्ण राशि ‘अन्य साधनों से आय’ शीर्षक में कर-योग्य है।
आकस्मिक आय में शामिल होने वाली कुछ आय (Some Incomes Included in Casual Income) –
(1) धन या खजाना मिलना
(2) वर्ग पहेली से जीत
(3) ताश के खेल से जीत
(4) शर्त, जुए एवं सट्टे से जीत
(5) लॉटरी से जीत
(6) किसी धन का अथवा वस्तु का सड़क पर पड़ा हुआ मिलना
(7) टिकट व सिक्के के संग्रह के लिए प्राप्त पुरस्कार
(8) घुड़दौड़ या अन्य किसी दौड़ से जीत
(9) पंच बनने से प्राप्त पारिश्रमिक जिसके लिए पूर्व में कोई ठहराव नहीं था।
प्रश्न 12 – कर बचाव से क्या आशय है?
What is meant by Tax Avoidance.
उत्तर – कर बचाव (Tax Avoidance) कर बचाव का अभिप्राय है किसी भी प्रकार से करारोपण के वैधानिक आयोजनों व उल्लंघन किए बिना वैधानिक कमजोरियों (Loopholes) को ढूँढकर उनका लाभ उठाक कर-दायित्व को वैधानिक बनाना। कर बचाव विधान की भावनाओं तथा उद्देश्यों के प्रतिकून होता है। ज्यों ही सरकार को किसी वैधानिक कमजोरी का ज्ञान हो जाता है तो वह विधान संशोधन करके इस कमजोरी को दूर कर देती है। कभी-कभी सरकार इस वैधानिक कमजोरी को दूर करने का संशोधन भूतकाल से प्रभावी कर देती है और तब करदाता द्वारा इस वैधानि कमजोरी के कारण बचाया हुआ कर व्यर्थ हो जाता है क्योंकि अब उसे वह चुकाना पड़ता है।
न्यायालयों के दृष्टिकोण से पहले कर बचाव न तो अवैधानिक था और न ही अनतिक न्यायालय के मतानुसार प्रत्येक करदाता का यह अधिकार है कि वह अपने वित्तीय व्यवहार
इस प्रकार संचालित कर सकता है, जिससे उसका कर-दायित्व न्यूनतम हो जाए, परन्तु अब – सर्वोच्च न्यायालय के मतानुसार न्यायालयों को कर बचाव के उपायों को प्रोत्साहित नहीं करना म चाहिए और कर बचाव करने वाले व्यक्तियों का भण्डाफोड़ (expose) करना चाहिए क्योंकि , च कर बचाव के अनेक सामाजिक दुष्परिणाम होते हैं; यथा
(1) आर्थिक कार्यक्रमों की आवश्यकता हेतु राजकीय आय में काफी कमी,
(2) समाज में आर्थिक असमानता में वृद्धि,
(3) समाज के बुद्धिजीवी वर्ग के सदस्यों का समय इस कार्य के लिए बरबाद करना कि कर कैसे बचाया जा सकता है जबकि इस समय का सदुपयोग उनके द्वारा अन्य उत्पादक कार्यों में किया जा सकता है,
(4) धोखेबाज, चतुर लोगों का कर-दायित्व भले लोगों पर हस्तान्तरित होना,
(5) ऐसे व्यक्तियों में, जो कर बचाव नहीं करना चाहते अथवा वे ऐसा करने में असमर्थ हैं, ऐसी भावना पैदा होना कि उनके साथ अन्याय हो रहा है।
प्रश्न 13 – कर बचाव एवं कर अपवंचन में अन्तर बताइए।
Distinguish between Tax Avoidance and Tax Evasion.
उत्तर- कर बचाव एव कर अपवचन में अन्तर
(Difference between Tax Avoidance and Tax Evasion)
(1) कर बचाव अवैधानिक नहीं होता है जबकि कर अपवंचन अवैधानिक होता है।
(2) कर बचाव में विधान की भावना तथा उद्देश्यों का उल्लंघन होता है, जबकि कर अपवंचन में विधान का सीधा उल्लंघन होता है।
(3) कर बचाव करने वाले को किसी भी प्रकार की सजा नहीं दी जा सकती, जबकि कर अपवंचन करने वाले को सदैव ही अर्थदण्ड एवं सजा मिलती है।
(4) कर बचाव से काले धन की उत्पत्ति नहीं होती, अत: समाज के लिए यह उतना अहितकारी नहीं होता है जितना कि कर अपवंचन होता है। कर अपवंचन से काले धन की उत्पत्ति होती है जिसे अधिकतम अनुत्पादक कार्यों में व्यय किया जाता है।
वास्तव में, कर बचाव एवं कर अपवंचन में बेईमानी की नीयत साफ झलकती है, जबकि कर नियोजन में वास्तविक योग्यता की झलक मिलती है।
प्रश्न 14 – कर नियोजन एवं कर बचाव में अन्तर बताइए।
Distinguish between Tax Planning and Tax Avoidance.
उत्तर – कर नियोजन एवं कर बचाव में अन्तर (Difference between Tax Planning and Tax Avoidance)
(1) कर नियोजन में वेधानिक प्रावधानों का पालन होता है, जबकि कर बचाव में विधान विकी कमजोरियों को ढूंढकर उसका लाभ उठाया जाता है।
(2) कर नियोजन स्थायी है, जबकि कर बचाव अस्थायी होता है, लेकिन कर नियोजन कमा कर बचाव में करदाता को किसी भी प्रकार की सजा नहीं दी जा सकती।
प्रश्न 15 —कर नियोजन एवं कर अपवंचन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
Differentiate between Tax Planning and Tax Evasion.
उत्तर – कर-नियोजन एवं कर अपवंचन में अन्तर
(Difference between Tax Planning and Tax Evasion)
(1) कर नियोजन में वैधानिक प्रावधानों का पालन होता है, जबकि कर अपवंचन में अ विधान का उल्लंघन किया जाता है।
(2) कर नियोजन वैधानिक अधिकार और सामाजिक दायित्व होता है। कर नियोजन के द्वारा कुछ सामाजिक एवं आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति की जाती है, जबकि कर अपवंचन वैधानिक नह अपराध होता है जिसके करने पर अर्थदण्ड तथा सजा मिलती है। __
(3) कर नियोजन के लिए सम्बन्धित अधिनियमों, देश की सामाजिक, आर्थिक एवं. राजनीतिक स्थिति का ज्ञान होना परम आवश्यक है, जबकि कर अपवंचन के लिए दुस्साहस की क आवश्यकता होती है।
(4) कर नियोजन से देश का आर्थिक विकास होता है, जबकि कर अपवंचन से काले al धन की उत्पत्ति होती है जिसे तस्करी, जमाखोरी, रिश्वत एवं अय्याशी पर व्यय किया जाता है।
(5) कर नियोजन करने वाला व्यक्ति अपनी कमाई का स्वतन्त्रतापूर्वक उपभोग करता है, । जबकि कर-वंचक सदैव ही छापा एवं सम्पत्ति जब्त होने के भय से भयभीत रहता है।
हमारा वर्तमान समाज आर्थिक समाज हो गया है। काले धन में चाहे जितनी बुराइयाँ विद्यमान हों, यह हमारे सामाजिक जीवन का एक हिस्सा बन चुका है और निकट भविष्य में इस पर किसी भी प्रकार का अंकुश लग सकेगा इसकी भी कोई आशा नहीं है।
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