B.Com 3rd Year Final Accounts Of Joint Stock Companies – Corporate Accounting Notes

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संयुक्त पूँजी कम्पनियों के अन्तिम खाते 

(Final Accounts of Joint Stock Companies

वित्तीय विवरण

(Financial Statements) 

कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 2(40) के अनुसार कम्पनी के वित्तीय विवरणों में निम्नलिखित सम्मिलित किया जाएगा- (i) वित्तीय वर्ष के अन्त में स्थिति विवरण (Balance Sheet),  (ii) वित्तीय वर्ष के लिए लाभ-हानि का विवरण (Statement of Profit & Loss),  (iii) वित्तीय वर्ष के लिए रोकड़ प्रवाह विवरण (Cash Flow Statement),  (iv) यदि लागू हो तो, समता में परिवर्तनों का विवरण (Statement of Changes inEquity), एवं  (v) स्पष्टीकरण नोट। एक व्यक्ति कम्पनी, लघु कम्पनी एवं निष्क्रिय कम्पनी को अपने वित्तीय विवरणों में रोकड प्रवाह विवरण बनाने से छूट दी गई है। कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 129(1) के अनुसार कम्पनी के वित्तीय विवरणों को (i) कम्पनी की स्थिति का सच्चा एवं सही चित्र (True and Fair View) प्रस्तुत करना चाहिए, 

(ii) धारा 133 के अन्तर्गत अधिसूचित लेखांकन प्रमापों का पालन करना चाहिए तथा  (iii) यह अनुसूची III में दिए गए निर्धारित प्रारूप में होने चाहिए। अनुसूची III के पहले भाग में स्थिति विवरण का प्रारूप और दूसरे भाग में लाभ-हानि विवरण का प्रारूप दिया हुआ है। संचालक मण्डल द्वारा वित्तीय विवरणों को कम्पनी की प्रत्येक वार्षिक साधारण सभा में अंशधारियों की स्वीकृति (Approval) के लिए प्रस्तुत करना अनिवार्य है। कम्पनी के वित्तीय विवरणों के साथ अंकेक्षकों की रिपोर्ट और संचालकों की रिपोर्ट भी लगी होनी चाहिए।

वित्तीय वर्ष (Financial Year)-कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 2(41) के अनुसार सभी कम्पनियों के लिए एक समान वित्तीय वर्ष रखना अनिवार्य है जो कि 1 अप्रैल से 31 मार्च तक की अवधि का होगा। केवल वह कम्पनियाँ जो किसी विदेशी कम्पनी की सूत्रधारी अथवा सहायक कम्पनियाँ हैं और जिन्ह भारत से बाहर खातों के एकीकरण के लिए विभिन्न वित्तीय वर्ष रखना आवश्यक है वह विभिन्न वित्तीय वर्ष रखने के लिए ट्रिब्यूनल को आवेदन कर सकती हैं।

कम्पनी अधिनियम, 2013 एवं अन्तिम खाते  (Companies Act, 2013 and Final Accounts) अनुसूची III  अनुसूची II की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं – 1.1 अप्रैल 2014 से प्रारम्भ होने वाले वित्तीय वर्ष से लाग – अनसची III वित्तीय वर्ष 2014-15 से उन सभी कम्पनियों पर लागू है, जिन पर अन्य कोई विशिष्ट अधिनियम लागू नहीं होता, अर्थात् 31 2015 को समाप्त होने वाले वर्ष को कम्पनियों द्वारा वित्तीय विवरण (Financial Statement) इसी अनु III के अनुसार बनाने हैं।

  1. लम्बवत् स्वरूप (Vertical Format)-चिट्टे का क्षैतिज प्रारूप (Horizontal Formal विलोपित कर दिया गया है केवल लम्बवत् प्रारूप (जो अनुसूची III के भाग I में निर्धारित है) का है। किया जायेगा।
  2. लाभ-हानि विवरण का निश्चित प्रारूप – अनसची III के भाग II में लाभ-हानि विवरण का प्रारूप निर्धारित किया गया है। यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 2011-12 से पहले पुरानी अनुसूची में का नहीं दिया गया था।
  3. निर्वचन एवं सारांश की समाप्ति – पुरानी अनुसूची का भाग III (निर्वचन) तथा भाग IV (चिट्टे का सारांश आदि)  का विलोपन कर दिया गया है।
  4. अनुसूची III की विषय-सामग्री निम्नवत् है –

(अ) सामान्य अनुदेश, (ब) चिट्ठे का प्रारूप (केवल लम्बवत् प्रारूप) और चिट्ठा बनाने हेतु सामान्य अनुदेश (भाग 1)  (स) लाभ-हानि विवरण का प्रारूप व इसके बनाने के सामान्य अनुदेश (भाग II)।

चिट्ठा तैयार करने हेतु सामान्य अनुदेश (निर्देश) (General Instructions for Preparation of Balance Sheet) 

  1. चालू सम्पत्ति (Current Assets)-एक सम्पत्ति को चालू सम्पत्ति में तभी वर्गीकृत किया जाएगा निम्नलिखित में से किसी एक मानक को पूरा करती हो –

(अ) इसके कम्पनी के सामान्य परिचालन चक्र (Normal operating cycle) में वसूल होने की आशा है अथवा यह विक्रय करने या उपभोग करने के लिए है। (ब) सम्पत्ति को मुख्यत: व्यापार के उद्देश्य से रोका गया है। (स) इसके विवरण तैयार होने की तिथि (Reporting date) के बाद के 12 माह के अन्दर वसूल होने की सम्भावना है। (द) जब तक उसका विनिमय प्रतिबन्धित न हो, वह रोकड़ अथवा रोकड़ समतुल्य के रूप में है अथवा अन्य सभी सम्पत्तियों को गैर-चालू के रूप में वर्गीकृत किया जायेगा।

  1. परिचालन चक्र – प्रसंस्करण हेतु सम्पत्ति का अधिग्रहण तथा रोकड़ अथवा रोकड़ समतुल्य के रूप में उनकी वसूली के बीच का समय परिचालन चक्र होता है। जहाँ परिचालन चक्र की पहचान नहीं की जा सकती है, वहाँ उसे 12 माह की अवधि का मान लिया जाता है।

3.किसी दायित्व को चालू दायित्व (Current Liability) तभी माना जाएगा जब वह निम्नलिखित में से किसी एक मानक को पूरा करता हो (अ) इसके कम्पनी के सामान्य परिचालन चक्र की अवधि में भुगतान की सम्भावना है।  (ब) दायित्व को प्रमुख रूप से व्यापार के उद्देश्य से रोका गया हो। (स) इसका निपटारा अथवा शोधन विवरण तैयार होने की तिथि (Reporting date) के बाद के 12 माह के अन्दर होने की सम्भावना है। (द) विवरण तैयार होने की तिथि के बाद कम से कम 12 माह के लिए दायित्व के निपटाने/शोधन को स्थगित करने का कम्पनी के पास कोई शर्त रहित अधिकार नहीं है। शेष सभी दायित्वों को गैर-चालू दायित्व माना जाएगा।

  1. एक प्राप्य को व्यापारिक प्राप्य (Trade Receivable) के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा यदि यह व्यवसाय की सामान्य क्रियाओं के अन्तर्गत माल के विक्रय अथवा सेवाएँ प्रदान करने के सम्बन्ध में प्राप्त राशि से सम्बन्धित है। इसमें देनदार तथा प्राप्य विपत्रों को सम्मिलित किया जाता है।
  2. एक देय को व्यापारिक देयता (Trade Payable) के रूप में वर्गीकृत किया जायेगा, यदि यह व्यवसाय की सामान्य व्यवसायिक क्रियाओं के अन्तर्गत माल के क्रय अथवा सेवाएँ प्राप्त करने के सम्बन्ध में देय राशि से सम्बन्धित है। इसमें विविध लेनदार तथा देय विपत्रों को सम्मिलित किया जाता है।
  3. लाभ-हानि विवरण के डेबिट शेष को सम्पत्ति पक्ष में नहीं दिखाया जायेगा, बल्कि दायित्व पक्ष के सचय एवं आधिक्य शीर्षक में ऋणात्मक शेष के रूप में दिखाया जायेगा।
  4. विविध व्ययों (अंश निर्गमन व्यय, अंशों एवं ऋणपत्रों के निर्गमन पर कटौती, प्रारम्भिक व्यय आदि) का सम्पत्ति पक्ष में ‘Unamorized Expenses’ के नाम से ‘Other Current/Non-current Assets’ शाषक में दिखाया जायेगा। (i) अगले 12 माह में अपलिखित होने वाली राशि को ‘Other Current Assets’ सापक में दिखाया जायेगा। (ii) शेष बिना अपलिखित हुई राशि को ‘Non-current Assets’ शीर्षक में दिखाया जायेगा।

नोट – लेखांकन प्रमाप-26 (AS-26) के अनुसार, प्रारम्भिक व्ययों की सम्पूर्ण राशि को जिस वर्ष यह रह उसी वर्ष या तो Securities Premium से अपलिखित किया जाएगा और इसके न होने पर उसी वर्ष anement of Profit & Loss से अपलिखित करना अनिवार्य है।

  1. ‘Schedule’ शब्द के स्थान पर ‘Notes to Accounts’ शब्द का प्रयोग किया जायेगा। 
  2. एक कम्पनी निम्नलिखित को खाता-सम्बन्धी टिप्पणियों में प्रकट करेगी – (i) अंश पूँजी, (ii) संचय

आधिक्य, (iii) दीर्घकालीन उधार, (iv) अल्पकालीन उधार, (v) अन्य चालू दायित्व, (vi) अल्प अवधि 17, (vii) मूर्त सम्पत्तियाँ, (viii) अमूर्त सम्पत्तियाँ, (ix) चालू सम्पत्तियाँ आदि। समता एवं दायित्वों का स्पष्टीकरण (Explanation of Equity and Liabilities) 

  1. अंशधारी कोष (Shareholders Funds)-

(A) अंश पूँजी (Share Capital)-प्रत्येक प्रकार की अंश पूँजी के लिए  (a) अधिकृत (Authorised) अंशों की संख्या एवं राशि, (b) निर्गमित (Issued), प्रार्थित (Subscribed) एवं पूर्णतया चुकता, तथा प्रार्थित एवं आंशिक चुकता अंशों की संख्या,  (c) प्रति अंश का सम मूल्य (Par value) (d) स्थिति विवरण तैयार करने की तिथि के तुरन्त पहले के पाँच वर्षों की अवधि में –  अनुबन्धों के पालन में बिना नकदी प्राप्त किए पूर्णतया चुकता अंशों के रूप में आबंटित किए गए अंशों की संख्या एवं प्रकार। बोनस अंशों के रूप में पूर्णतया चुकता अंशों के रूप में आबंटित किए गए अंशों की संख्या एवं प्रकार। .  वापिस क्रय किए गए अंशों की संख्या एवं प्रकार। (e) अदत्त याचनाएँ (Calls Unpaid), संचालकों एवं अधिकारियों द्वारा न चुकाई गई याचनाओं की राशि को प्रदर्शित करते हुए। (अदत्त याचनाओं को Subscribed Capital में से घटाया जाएगा।) (f) हरण किए गए अंश (Forfeited Shares)।

(B) संचय एवं आधिक्य (Reserves and Surplus) (i) संचय एवं आधिक्य को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जाएगा- (a) पूँजी संचय (Capital Reserves),  (b) पूँजी शोधन संचय (Capital Redemption Reserve),  (c) प्रतिभूति प्रीमियम संचय (Securities Premium Reserve),  (d) ऋणपत्र शोधन संचय (Debenture Redemption Reserve),  (e) पुनर्मूल्यांकन संचय (Revaluation Reserve),

(f) अंश विकल्प अदत्त खाता (Share Options Outstanding Account)-यह कर्मचारी क्षतिपूर्ति की एक ऐसी योजना है जिसके अन्तर्गत कर्मचारियों को यह विकल्प प्रदान किया जाता है कि वह भविष्य में निश्चित समय अवधि पर निश्चित मूल्य पर निश्चित मात्रा में कम्पनी के अंशों के लिए आवेदन कर सकते हैं और उन्हें वह अंश आबंटित किए जाएंगे। अंशों का ऐसा निश्चित मूल्य अंशों के बाजार मूल्य से कम होता है। (g) अन्य संचय (Other Reserves) (प्रत्येक संचय की प्रकृति, उद्देश्य एवं राशि स्पष्ट करते हुए) _ (h) आधिक्य (Surplus) अर्थात् लाभांश (Dividend), बोनस अंश एवं संचयों में हस्तान्तरण के रचात् लाभ-हानि विवरण का शेष (Balance of Statement of Profit & Loss)। (अनुसूची III के अनुसार Profit & Loss Appropriation Account नहीं बनाया जाएगा। इसका हाक समायोजनों (Appropriations) को Notes में दिखाया जाएगा।)  (ii) ऐसा Reserve जिसे विनियोग कर दिया गया हो Fund कहलाएगा।  (iii) Profit & Loss Statement के डेबिट शेष को ‘Surplus’ शीर्षक के अन्तर्गत ऋणात्मक Negative) संख्या के रूप में दिखाया जाएगा। इसी प्रकार, ‘Surplus’ के Negative शेष को Reserve and Surplus में समायोजित करने के बाद यदि Reserve and Surplus का Negative शेष बचता है तो भी इस इसी शीर्षक के अन्तर्गत दिखाया जाएगा। 

(C) अंश वारंट के माध्यम से प्राप्त की गई राशि (Money Received against Share 5 अंश वारंट सार्वजनिक कम्पनी द्वारा जारी किया गया एक ऐसा वित्तीय प्रपत्र है जो इसके धारक किसी तिथि पर एक निश्चित संख्या में समता अंश प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है। अंश वारंट पर कम्पनी द्वारा प्राप्त की गई राशि को Shareholders’ Funds में सम्मिलित किया जाता है क्योंकि इन्हें एक निश्चित तिथि पर पूर्व निर्धारित मूल्य पर समता अंशों में परिवर्तित किया जाएगा। 

2. अंश आवेदन राशि, जब तक आबंटन न हो (Share Application Money Pending Allotment) – यदि किसी कम्पनी ने अंशों पर आवेदन राशि तो प्राप्त कर ली है परन्तु स्थिति विवरण बनाने शा का आबंटन नहीं किया है तो इस आवेदन राशि में से जो राशि वापिस नहीं की जानी है उसे इस शीर्षक के अन्तर्गत लिखा जाता हैं।

  1. गैर-चालू दायित्व (Non-Current Liabilities)

(a) दीर्घ-कालीन ऋण (Long-term Borrowing)-(i) बॉण्ड/ऋणपत्र (Bonds/Debentumes (ii) अवधि ऋण-बैंकों से, अन्य पक्षकारों से, (iii) स्थगित भुगतान दायित्व, (iv) निक्षेप (12 माह पश्चा देय), (v) अन्य ऋण तथा अग्रिम।

(b) स्थगित कर दायित्व (Deferred Tax Liabilities)-कर योग्य आय लेखांकन आय से भिन्न होती है। कर योग्य आच कर अधिनियम पर आधारित होती है, जबकि लेखांकन आय लेखांकन व्यवहार आधार पर निर्धारित की जाती है। एक स्थगित कर दायित्व उस समय उत्पन्न होता है, जबकि लेखांकन आ कर योग्य आय से अधिक होती है। ऐसी दशा में लेखांकन आय पर कुल कर लाभ हानि विवरण में देर किया जाता है, कर योग्य आय पर कर की राशि चालू कर खाता या कर के लिए प्रावधान में जमा (Credits की जाती है तथा शेष को स्थगित कर दायित्व में हस्तान्तरित कर दिया जाता है।

(c) अन्य दीर्घकालीन दायित्व (Other Long-term Liabilities)-जैसे-(i) व्यापारिक देय (यदि 12 माह से अधिक पर देय हो), (ii) अन्य दायित्व। (d) दीर्घकालीन प्रावधान/आयोजन (Long-term Provisions)-जैसे-कर्मचारी सुविधाओं हेत प्रावधान।

  1. चालू दायित्व (Current Liabilities) – 

(a) अल्पकालीन उधार (Short-term Borrowings) –  (i) अल्पकालीन उधार को वर्गीकृत किया जायेगा (क) माँग पर देय ऋण-बैंक से व अन्य पक्षों से। 

(ख) सम्बद्ध पक्षों से ऋण तथा अग्रिम  (ग) अल्पकालीन निक्षेप (सूचना के अभाव में निक्षेपों को दीर्घकालीन माना जायेगा)  (घ) अन्य ऋण तथा अग्रिम (निर्दिष्ट करे प्रकृति का) (ii) उधारी को पुन: सुरक्षित व असुरक्षित वर्गों में रखा जायेगा। प्रत्येक मामले में प्रतिभूति (Security) की प्रकृति को अलग से निर्दिष्ट किया जायेगा

(b) व्यापारिक देय (Trade Payables)-एक देय को व्यापारिक देय के रूप में वर्गीकृत किया जायेगा, यदि वह व्यवसाय के सामान्य अनुक्रम में खरीदे गए माल या प्राप्त सेवाओं के सम्बन्ध में चुकता योग्य हो। इसमें लेनदार और देय बिलों को शामिल किया जाता है।

(c) अन्य चालू दायित्व (Other Current Liabilities)-इनकी रकमों को वर्गीकृत किया जायेगा – (क) दीर्घकालीन ऋण जो वर्तमान में देय हैं  (ख) वित्तीय पट्टा बाध्यताओं की वर्तमान परिपक्वताएँ,  (ग) ऋणों पर अर्जित ब्याज, परन्तु देय नहीं  (घ) ऋणों पर अर्जित व देय ब्याज  (ङ) अग्रिम में प्राप्त आय (च)न चुकाया लाभांश  (छ) प्रतिभूतियों के आबन्टन हेतु प्राप्त आवेदन राशि, जो वापसी के लिए देय है और उस पर आज जायेगा (ज) जमा राशियाँ (Deposits) जो भुगतान के लिए देय हो गए हैं पर चुकाए नहीं गए हैं  (झ) अदत्त परिपक्व ऋणपत्र और उस पर अर्जित ब्याज  (ज) अन्य देय राशियाँ जैसे अदत्त व्यय, अग्रिम याचना, अयाचित लाभांश आदि।  (d) अल्पकालीन प्रावधान (Short-term Provisions)-इनकी रकमों को वर्गीकृत किया जा  (क) कर्मचारी सुविधाओं हेतु प्रावधान  (ख) कर के लिए प्रावधान, इत्यादि।  (ग) संदिग्ध ऋणों के लिए आयोजन।

सम्पत्तियों की व्याख्या (Explanation of Assets)  1. गैर-चालू सम्पत्तियाँ (Non-Current Assets)-गैर-चालू सम्पत्तियों से आशय है जो एक वर्ष से अधिक के लिए रखी जाती हैं। इन्हें दीर्घकालीन सम्पत्तिया भा का अनलिखित शामिल होते हैं –

(a) स्थायी सम्पत्तियाँ (Fixed Assets) – (i) मूर्त सम्पत्तियाँ (Tangible Assets)-इनका आशय ऐसी स्थायी सम्पत्तियों से है, जिनका ” अस्तित्व होता है और जिसे देखा तथा अनुभव किया जा सकता है, जैसे – (क) भूमि, (ख) भवन, (ग) सन्यन्त्र व उपकरण, (घ) फर्नीचर व फिक्चर्स, (ङ) वाहन, (च) कार्यालय उपकरण, (छ) पट्टे पर सम्पत्तियाँ इत्यादि।

(ii) अमर्त सम्पत्तियाँ (Intangible Assets)-इनका आशय ऐसी सम्पत्तियों से है, जिनका वास्तविक अस्तित्व तो नहीं होता लेकिन जिनका मूल्य होता है, जैसे –  (क) ख्याति, (ख) ब्राण्ड/ट्रेडमार्क, (ग) कम्प्यूटर साफ्टवेयर, (घ) मुख्य शीर्षक एवं प्रकाशनीय (ङ) खनन अधिकार, (च) लेखन-अधिकार, पेटेन्ट्स, अन्य बौद्धिक सम्पदा अधिकार, सेवा व रिचालन अधिकार, (छ) नुस्खे, सूत्र, मॉडल, डिजाइन, प्रोटोटाइप, (ज) लाइसेन्स व विशेषाधिकार, (झ) अन्य (प्रकृति निर्दिष्ट करें)।

(iii) पूँजीगत कार्य प्रगति (Capital Work-in-progress)-इसका आशय पूँजीगत कार्य प्रगति की लागत से होता है जैसे-सम्पत्ति, सन्यन्त्र एवं उपकरणों के निर्माण की लागत, जिनका निर्माण अभी पूरा नहीं हुआ है।

(b) गैर-चालू निवेश (Non-Current Investments) – (i) गैर-चालू निवेश को व्यापारिक निवेश व अन्य निवेशों के रूप में वर्गीकृत किया जायेगा और फिर पुनः निम्नांकित प्रकार वर्गीकृत करेंगे – (क) विनियोग सम्पत्ति (वे भूमि और भवन जिन्हें मूल्य वृद्धि या किराया प्राप्ति के लिए रखा गया है)  (ख) समता प्रपत्रों में निवेश  (ग) पूर्वाधिकार अंशों में निवेश  (घ) सरकारी अथवा ट्रस्ट प्रतिभूतियों में निवेश  (ङ) ऋणपत्रों व बाण्डों में निवेश  (च) म्युच्यूअल फण्डों में निवेश  (छ) साझेदारी फर्म में निवेश  (ज) अन्य गैर चालू निवेश (प्रकृति निर्दिष्ट करें) (ii) लागत पर मूल्यांकित न किए गए निवेशों को अलग से उनके मूल्यांकन के आधार को निर्दिष्ट करते हुए दर्शाया जायेगा। (iii) निम्नलिखित को भी प्रकट किया जायेगा  (क) स्टॉक एक्सचेंज पर सूचित विनियोगों की सकल राशि और उनका बाजार मूल्य  (ख) स्टॉक एक्सचेंज पर न सूचित विनियोगों की सकल राशि  (ग) विनियोगों के मूल्य में कमी के लिए सकल प्रावधान

(c) स्थगित कर सम्पत्ति (Deferred Tax Assets)-स्थगित कर सम्पत्ति उस समय बनती है, जबकि लेखांकन आय कर योग्य आय से कम होती है। लेखांकन आय तथा कर योग्य आय के अन्तर पर कर की राशि का स्थगित कर सम्पत्ति माना जाता है। यह इस आशा में दिखायी जाती है कि कर अधिकारी कुछ हानियों को प्रावधान के समय नहीं वरन् वास्तव में होने पर स्वीकार करते हैं। अशोध्य ऋण के लिए संचय ऐसी स्थिति का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। लेखों में संदेहास्पद एवं अशोध्य ऋण के लिए प्रावधान आशा या अनुमानों के आधार पर कर लिया जाता है, लेकिन कर अधिकारी इसे उसी समय स्वीकार करते हैं, जब यह वास्तव में अशोध्य हो जाता है।

(d) दीर्घकालीन ऋण तथा अग्रिम (Long-term Loans and Advances) – (i) दीर्घकालीन ऋण व अग्रिम, जैसे—(क) पूँजीगत अग्रिम, (ख) प्रतिभूति निक्षेप, (ग) सम्बन्धित पक्षकारों को ऋण तथा अग्रिम (विवरण सहित)। (ii) अशोध्य व संदेहास्पद ऋणों एवं अग्रिमों के लिए छूट को सम्बन्धित शीर्षक के अन्तर्गत अलग से _ (iii) कम्पनी के संचालकों या अन्य अधिकारियों या उनमें से कोई किसी अन्य व्यक्ति के साथ पृथक या सयुक्त देय राशियों को अलग से दर्शाया जाना चाहिए।

(e) अन्य गैर-चालू सम्पत्तियाँ (Other Non-Current Assets)-जैसे-दीर्घकालीन व्यापारिक (स्थगित उधार शर्तों पर व्यापारिक प्राप्य सहित) । अशोध्य एवं संदेहास्पद प्राप्यों के लिए छूट को सम्बन्धित शीर्षक में अलग से दिखाया जायेगा। कम्पनी के सचालकों या अधिकारियों या उनमें से किसी द्वारा किसी अन्य व्यक्ति के साथ पथक संयुक्त रूप से प्राप्यों के लिए देय को अलग से दर्शाया जाना चाहिए।

  1. चाल सम्पत्तियाँ (Current Assets)-इनसे आशय उन सम्पत्तियों से होता है जो एक वर्ष या दर कम समय के लिए होती हैं। इसमें निम्नलिखित शामिल होते हैं

(a) चालू निवेश (Current Investments)-जैसे-समता प्रपत्रों में निवेश, पूर्वाधिकार अंशों में निवेश, सरकारी या ट्रस्ट प्रतिभूतियों में निवेश, ऋणपत्रों एवं बन्धपत्रों में निवेश, परस्पर निधियों में निवेश साझेदारी फर्म में निवेश, अन्य निवेश (प्रकृति निर्दिष्ट करें)।

नोट – निम्नलिखित को भी प्रकट किया जायेगा(क) व्यक्तिगत विनियोगों के मूल्यांकन का आधार (ख) स्टॉक एक्सचेंज पर सूचित विनियोगों की सकल राशि और उनका बाजार मूल्य (ग) स्टॉक एक्सचेंज पर सूचित न किए गए विनियोगों की सकल राशि (घ) विनियोगों के मूल्य में कमी के लिए सकल प्रावधान

(b) रहतिया (Inventories)-जैसे-कच्चा माल/सामग्री, चालू-कार्य, तैयार माल, व्यापारिक स्कन्ध (व्यापार के लिए अधिग्रहित माल के सम्बन्ध में), स्टोर्स एवं अतिरिक्त पुर्जे, खुले औजार, अन्य (प्रकृति निर्दिष्ट करें)। मार्गस्थ माल को स्टॉक के अन्तर्गत अलग उपशीर्षक के अन्तर्गत दिखाया जायेगा।

(c) व्यापारिक प्राप्य (Trade Receivables)-इसमें एक वर्ष के अन्तर्गत परिपक्व होने वाले देनदारों और प्राप्त विपत्रों को शामिल किया जाता है।

(d) नकद एवं नकद समतुल्य (Cash and Cash Equivalents)-(क) बैंक शेष, (ख) हस्तगत चैक, ड्राफ्ट, (ग) रोकड़ हाथ में।

(e) अल्पकालीन ऋण तथा अग्रिम (Short-term Loans and Advances)

(f) अन्य चालू सम्पत्तियाँ (Other Current Assets)-यह एक सर्व समावेशी शीर्षक है, जो ऐसी चालू सम्पत्तियों को सम्मिलित करता है, जो किसी अन्य सम्पत्ति वर्ग के लिए उचित नहीं हैं जैसे पूर्वदत्त व्यय, विनियोग पर अर्जित ब्याज इत्यादि।

आकस्मिक दायित्व (Explanation of Contingent Liabilities)-इसमें उन दायित्वों को सम्मिलित किया जाता है जो वर्तमान में दायित्व नहीं हैं परन्तु इनका होना या न होना भविष्य की किसी घटना पर आधारित होता है अर्थात् दायित्व का होना निश्चित नहीं होता। इनकी राशि चिट्ठे के योग में शामिल नहीं की जाती, अत: इनकी राशि को चिट्ठे के नीचे Notes to Accounts में दिखाया जाता है। इसमें निम्नलिखित संयोगिक दायित्वों को सम्मिलित किया जाता है (a) कम्पनी के विरूद्ध किए गए ऐसे दावे जिन्हें अभी तक कम्पनी ने देना स्वीकार नहीं किया है। (Claims against the company not acknowledged as debts) (b) कम्पनी द्वारा यदि कोई गारण्टी ली हुई है तो उसके अन्तर्गत दायित्व। (C) अन्य धनराशि जिसके लिए कम्पनी सम्भाव्य रूप से उत्तरदायी है। (d) प्रस्तावित लाभांश (Proposed Dividend)।

  1. वचनबद्धताएँ (Commitments)-वचनबद्धताओं से आशय है, “भविष्य में किन्हीं निश्चित दशाओं में किसी निश्चित समय पर किसी निश्चित कार्य को करने का अनुबन्ध।

वचनबद्धताओं को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जायेगा(a) उन ठेकों की अनुमानित राशि जो अभी अपूर्ण हैं और जिनके लिए कोई आयोजन नहीं किया गया है (b) आंशिक चुकता अंशों पर न माँगी हुई याचनाओं की राशि (Uncalled liability on party shares)-यदि कम्पनी ने किसी अन्य कम्पनी के ‘आंशिक चकता अंश विनियोग के रूप में क्रय किए तो इन अंशों पर ‘न माँगी गई राशि कम्पनी के लिए वचनबद्धता है, क्योंकि यह राशि कभी भा चुका सकती है।

(c) अन्य वचनबद्धताएँ (Other Commitments) जैसे कि संचयी पूर्वाधिकार अंशों पर ला बकाया राशि (Arrears of Dividends on Cumulative Preference Shares)|

लाभ-हानि विवरण का प्रारूप एवं तैयार करने के सामान्य अनुदेश  लाभ-हानि विवरण का प्रारूप अनुसूची III (भाग II) में शामिल किया गया है। इसे अग्र रूप किया जाता है है। – लाभ-हानि विवरण तैयार करने के लिए सामान्य अनुदेश  (General Instructions for Preparation of Statement of Profit & Loss) 

  1. इस भाग के प्रावधान कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 2 के वाक्यांश 4(ii) में संदर्भित आय व्यय खाता पर उसी ढंग से लागू होंगे, जैसा कि लाभ-हानि विवरण पर लागू होते हैं।
  2. लाभ-हानि विवरण के प्रारूप में किसी प्रकार के नियोजन मद का वर्णन/चित्रण नहीं किया जाता है।
  3. परिचालन से आय (Revenue from Operations)-वित्त कम्पनी के अतिरिक्त अन्य किसी कम्पनी के सम्बन्ध में परिचालन से आगम (राजस्व) को अलग रूप में टिप्पणी के रूप में (क) उत्पादों की बिक्री (ख) सेवाओं की बिक्री (ग) अन्य परिचालन आगम (राजस्व) के रूप में (क+ख + ग) के योग से उत्पाद-शल्क को घटाकर प्रकट किया जायेगा। वित्त कम्पनी की दशा में, परिचालन से आगम में (अ ब्याज व (ब) अन्य वित्तीय सेवाओं को शामिल किया जायेगा यह भी दर्शाया गया है कि उक्त प्रत्येक शीर्षक आगम को अलग से जहाँ तक लागू हो, खातों के टिप्पणी के रूप में प्रकट किया जायेगा।
  4. अन्य आय (Other Income)-अन्य आय को निम्न रूप में वर्गीकृत करेंगे(क) ब्याज आय (वित्त कम्पनी के अलावा अन्य कम्पनी की दशा में) (ख) लाभांश आय (ग) विनियोगों की बिक्री पर शुद्ध लाभ/हानि (घ) अन्य गैर-परिचालन आय (ऐसी आय से प्रत्यक्ष रूप में सम्बन्धित खर्चों के बाद शुद्ध राशि)
  5. वित्त सम्बन्धी लागतें (Finance Costs)-वित्त सम्बन्धी लागतों में, (क) ब्याज सम्बन्धी व्यय, (ख) अन्य उधार सम्बन्धी लागतें जैसे ऋणपत्रों के निर्गमन पर कटौती का अपलेखन, ऋणपत्रों के शोधन पर प्रीमियम का अपलेखन आदि तथा (ग) विदेशी मुद्रा में संव्यवहारों व उनके परिवर्तन पर होने वाले शुद्ध लाभ/हानि को शामिल किया जायेगा।
  6. ह्रास एवं अपलेखन व्यय (Depreciation and Amortisation Expenses) : 

(i) ह्रास (Depreciation)-अपलिखित की गई मूर्त स्थायी सम्पत्तियों की लागत।

(ii) अपलेखन (Amortization)-अपलिखित की गई अमूर्त स्थायी सम्पत्तियों की लागत जैसे Goodwill written off, Patents written off आदि।

  1. अन्य व्यय (Other Expenses)-अन्य सभी व्ययों को जो किसी अन्य शीर्षक में नहीं लिखे गए हैं उन्हें इस शीर्षक में लिखा जाएगा जैसे गाड़ी भाड़ा, किराया, दर एवं कर, कमीशन, संचालकों की फीस आदि।
  2. आय अथवा व्यय की किसी भी मद को जो संचालन क्रियाओं से आगम का 1% से अधिक हो अथवा 1,00,000 रू. से अधिक हो अलग से Notes में दिखाया जायेगा।

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